SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 140
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ (130) उत्तर-नही होती है, क्योकि वह उत्कृष्ट ऋद्धियो का स्वामी प्रश्न १५८-पांच भावो मे से बन्ध का कारण कौन सा भाव है ? / उत्तर-औदयिक भाव है। प्रश्न १५६-पांच भावो मे से मोक्ष का कारण कौन-कौन से भाव हैं ? उत्तर-औपश मिक, क्षायिक और धर्म का क्षयोपशमिक भाव है। प्रश्न १६०-बन्ध-मोक्ष से रहित भाव का क्या नाम है ? उत्तर--पारिणामिक भाव है। प्रश्न १६१-औदयिकभाव कौन-कौन से गुणस्थानों में होता है ? उत्तर-- सभी गुणस्थानो मे होता है। प्रश्न १६२--औपमिक भाव के कौन-कौन से गुणस्थान हैं ? उत्तर-४ गुणस्थान से ११वे गुणस्थान तक हैं। "प्रश्न १६३-~-क्षायोपशमिक भाव के कौन-कौन से गुणस्थान हैं ? उत्तर-पहले गुणस्थान से १२वे गुणस्थान तक हैं। प्रश्न १६४-क्षायिकभाव कौन-कौन से गुणस्थान में हो सकता उत्तर- क्षायिकभाव 4 गुणस्थान से १४वें तक हो सकता है। प्रश्न १६५-औपशामिक भाव वाले कितने जीव होते हैं ? उत्तर---असख्यात होते हैं। प्रश्न 166 -संसार में औपशमिक करता क्षायिक सम्यग्दृष्टि चाले फितने जीव है? उत्तर असख्यात् गुणा हैं। प्रश्न १६७--जगत में औपशमिक करता क्षायिकभाव वाले कितने जीव हैं ? उत्तर अनन्त गुणा अधिक हैं।
SR No.010119
Book TitleJain Siddhant Pravesh Ratnamala 04
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDigambar Jain Mumukshu Mandal Dehradun
PublisherDigambar Jain Mumukshu Mandal
Publication Year
Total Pages289
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size10 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy