SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 135
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ ( १२५ ) उत्तर--हॉ, हो सकती है। प्रश्न १०७-क्या क्षपकश्रेणी वाला जीव स्वर्ग मे जावे ? उत्तर-कभी भी नही, क्योकि वह नियम से मोक्ष ही जाता है ।। प्रश्न १०८-औपशमिक सम्यक्त्वी जीव स्वर्ग में जावे ? उत्तर-हाँ जावे। प्रश्न १०६-मन.पर्यय ज्ञान कौन सा भाव है ? उत्तर-क्षायोपशमिक भाव है। प्रश्न ११०–केवलज्ञान कौन सा भाव है ? उत्तर-क्षायिक भाव है। प्रश्न १११-सम्यग्दर्शन कौन सा भाव है ? उत्तर-औपशमिक, क्षायोपशमिक और क्षायिकभाव तीनो हो सकते है, परन्तु एक समय मे एक ही होगा तीन या दो नहीं। प्रश्न ११२-पूर्ण वीतरागता कौन सा भाव है ? उत्तर-औपशमिक और क्षायिक भाव है। प्रश्न ११३-वर्तमान समय मे भरतक्षेत्र मे उत्पन्न जीवो को कौन-कौन से भाव हो सकते हैं ? उत्तर-औपशमिक, क्षायोपशमिक, औदयिक और पारिणामिक भाव हो सकते हैं परन्तु क्षायिकभाव नही हो सकता है। प्रश्न ११४-आठ कर्मों मे से उदयभाव कितने कर्मों में होता है? उत्तर-उदय आठो मे होता है। प्रश्न ११५-आठ कर्मों मे से क्षय कितने कर्मों में होता है ? उत्तर-क्षय भी आठो मे होता है । प्रश्न ११६-आठ कर्मों मे से उपशम कितने कर्मों में होता है ? उत्तर-मात्र मोहनीय कर्म मे ही होता है। प्रश्न ११७-आठो कर्मों मे से क्षयोपशम क्षितने कर्मों में होता उत्तर-क्षयोपशम चार घाती कर्मो मे होता है।
SR No.010119
Book TitleJain Siddhant Pravesh Ratnamala 04
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDigambar Jain Mumukshu Mandal Dehradun
PublisherDigambar Jain Mumukshu Mandal
Publication Year
Total Pages289
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size10 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy