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________________ (50) प्रश्न (११९ ) -- क्या जैसे आकाश में अवगाहनत्व गुण है वैसे ही द्रव्य में गुण हैं ? उत्तर- हां ऐसे ही है क्योकि (उत्तर १०८ के अनुसार ) प्रश्न ( १२० ) -- क्या जैसे जीव पुद्गल मे क्रियावती शक्ति और वैभाविक शक्ति है; उसी प्रकार प्रत्येक द्रव्य मे गुण है ? उत्तर - हाँ ऐसे ही है क्योंकि ( उत्तर १०८ के अनुसार ) प्रश्न (१२१) -- क्या जैसे एक छत्ते में हजारो मक्खियाँ है, उसी प्रकार द्रव्य मे गुण है ? उत्तर - बिल्कुल नही क्योंकि ( उत्तर १०४ के अनुसार ) प्रश्न (१२२) -- ज्ञान दर्शन चारित्र आदि गुणो के साथ ग्रात्मा का कैसा सम्बध है ? उत्तर - नित्यतादात्म्य सम्बध है । प्रश्न ( १२३ ) - नित्यतादात्म्य सम्बध को कर्ता-कर्म अधिकार में किस नाम से कहा है ? उत्तर - तादात्म्यसिद्ध सम्बंध के नाम से कहा है । प्रश्न ( १२४ ) -- तादात्म्यसिद्ध सम्बंध मानने जानने का क्या फल हैं ? उत्तर - सम्यग्दर्शन ज्ञानचारित्र की प्राप्ति उसका फल है । प्रश्न (१२५) - शुभाशुभ विकारी भावों के सम्बंध का क्या नाम ह ? उत्तर - अनित्यतादात्म्य सम्बंध |
SR No.010118
Book TitleJain Siddhant Pravesh Ratnamala 03
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDigambar Jain Mumukshu Mandal Dehradun
PublisherDigambar Jain Mumukshu Mandal
Publication Year
Total Pages211
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size5 MB
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