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________________ ( ६० ) प्रश्न (५१) - सम्यग्दर्शन प्राप्त करने के लिए किसका आश्रय करें ? उत्तर - अनन्त गुणो के अभेद पिण्ड अपने द्रव्य का । प्रश्न (५२) - सम्यग्दर्शन प्राप्त करने के लिए किसका आश्रय करे तो कभी सम्यग्दर्शन की प्राप्ति ना हो ? उत्तर- (१) दर्शन मोहनीय के क्षयादिक का आश्रय करें तो कभी भी सम्यग्दर्शन की प्राप्ति ना हो। (२) देव, गुरु, शास्त्र का आश्रय कर तो कभी भी सम्यम्दर्शन की प्राप्ति ना हो । प्रश्न ( ५३ ) - जो जीव सम्यग्दर्शन के लिए मात्र देव, गुरु, शास्त्र का ही आश्रय मानते हैं उसका फल क्या होगा ? उत्तर - क्रम से चारों गतियों मे घूमते हुए निगोद में चले जावेगे | प्रश्न (५४) - क्या देव, गुरु, शास्त्र का आश्रय कार्यकारी नही है ? उत्तर - संसार परिभ्रमण के लिए कार्यकारी है । प्रश्न (५५) - सम्यग्ज्ञान प्राप्त करने के लिए किसका आश्रय करें तो सम्यग्ज्ञान की प्राप्ति हो ? उत्तर - एक मात्र अनन्त गुणों के प्रभेद पिण्ड अपने ज्ञायक द्रव्य का आश्रय करने से ही सम्यग्ज्ञान की प्राप्ति होती है। प्रश्न ( ५६ ) - सम्यग्ज्ञान प्राप्त करने के लिए गुरु और शास्त्र की भोर देखें तो क्या सम्यग्ज्ञान की प्राप्ति नहीं होगी ?
SR No.010118
Book TitleJain Siddhant Pravesh Ratnamala 03
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDigambar Jain Mumukshu Mandal Dehradun
PublisherDigambar Jain Mumukshu Mandal
Publication Year
Total Pages211
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size5 MB
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