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________________ (६८) परिणमन बताना है इतना अन्तर है। प्रश्न (२१५)--निर्विकल्प (अखण्डित) किसे कहते हैं ? उत्तर-जिसके द्रव्य से, क्षेत्र से, काल से. और भाव से किसी प्रकार सर्वथा खण्ड न हो सकते हों उसे निर्विकल्प (अखण्डित) कहते हैं। प्रश्न (२१६)--महासत्ता किसे कहते हैं ? उत्तर-सामान्य को, अखण्ड को, अभेद को, महासत्ता कहते प्रश्न (२१७)--अवान्तर सत्ता किसे कहते हैं ? उत्तर-विशेष को, खण्ड को, भेद को अवान्तर सत्ता कहते हैं प्रश्न (२१८)-क्या महासत्ता और अवान्तर--सत्ता के प्रदेश भिन्न भिन्न हैं ? उत्तर- नहीं, प्रदेश एक ही है मात्र अपेक्षाकृत भेद हैं क्योकि वस्तु सामान्य विशेषात्मक है। प्रश्न (२१६)-प्रत्येक द्रव्य का स्वचतुष्टय क्या है ? उत्तर-(१) द्रव्य-वह द्रव्य है (२) उसका क्षेत्र - वह क्षेत्र है १३) उसका काल-वह काल है (४) उसका भाव-वह भाव है। प्रश्न (२२०)-प्रत्येक द्रव्य का चतुष्टय उस उस द्रव्य के अन्दर है या बाहर है ? उत्तर -- उसके अन्दर ही है बाहर नहीं है। प्रश्न (२२१)-कोई सामान्य को न माने तो क्या नुकसान है ?
SR No.010118
Book TitleJain Siddhant Pravesh Ratnamala 03
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDigambar Jain Mumukshu Mandal Dehradun
PublisherDigambar Jain Mumukshu Mandal
Publication Year
Total Pages211
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size5 MB
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