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________________ ( ६५ ) सम्प्रदान हुई, (५) रोटी किसमे से बनी ? उस समय पर्याय की उपादान कारण रोटी मे से बनी। अत रोटी अपादान हुई, (६) रोटी किसके आधार से बनी ? उस समय पर्याय की योग्यता क्षक्षिण उपादान कारण रोटी के आधार से। अत रोटी अधिकरण हुई। देखो रोटी का वास्तविक मच्चाकारण-कार्य उस समय पर्याय की योग्यता ही है । प्रश्न २६३–उस समय पर्याय की योग्यता से ही रोटी बनी और से नहीं, इसको जानने से क्या लाभ रहा । उत्तर-ससार मे जो-जो कार्य होता है। वह अपनी-अपनी उस समय पर्याय की योग्यता से हुआ है, हो रहा है और होता रहेगा। ऐसा निर्णय होते ही दृष्टि अपने स्वभाव पर आ जाती है। तव वास्तव मे उस समय पर्याय की योग्यता को माना। प्रश्न २६४-केवल ज्ञानावरणीय कर्म के अभाव से केवलज्ञान की प्राप्ति हुई इसमे (१) त्रिकालो उपादान कारण (२) अनन्तरपूर्व क्षणवर्ती पर्याय क्षणिक उपादान कारण (३) उस समय पर्याय की योग्यता क्षणिक उपादान कारण (४) निमित्त कारण-चारो प्रकार के छह कारक लगाकर बताओ? उत्तर-स्वय प्रश्न उत्तर २५४ से २६३ तक के अनुसार दो। प्रश्न २६५-बढई ने रथ बनाया; इसमे चारो प्रकार के छह कारक लगाओ? उत्तर–स्वय प्रश्न उत्तर २५४ से २६३ तक के अनुसार दो। ' प्रश्न २६६-मैने दही मे से घी निकाला; चारो प्रकार के छह कारक लगाओ? उत्तर-स्वय प्रश्न उत्तर २५४ से २६३ तक के अनुसार हो। प्रश्न २६७-क्या औपशमिक सम्यक्त्व होने से दर्शन पाहती। उपशम हुआ? उत्तर-स्वय प्रश्न उत्तर २५४ से २६३ चक्र के अनुसारको .. सीटी
SR No.010117
Book TitleJain Siddhant Pravesh Ratnamala 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDigambar Jain Mumukshu Mandal Dehradun
PublisherDigambar Jain Mumukshu Mandal
Publication Year
Total Pages253
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size8 MB
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