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________________ ( ३७ ) ? प्रश्न ६३ - संवर तत्व का कर्त्ता कौन है उत्तर - उस समय पर्याय की योग्यता क्षणिक उपादान कारण है । प्रश्न ६४ - संवर तत्व का कर्त्ता कोई द्रव्यकर्म के रुकने को माने तो क्या दोष आवेगा ? उत्तर - उसने सवर तत्व और अजीव तत्व को एक माना- कर्मकारक को नही माना । प्रश्न ६५ -- शुभ भाव से संवर माने तो क्या दोष आवेगा ? उत्तर - उसने आस्रव, बध और सवर को एक माना- कर्मकारक को नही माना । प्रश्न ६६ - शुभभाव करने से सवर की प्राप्ति माने तो क्या दोष आवेगा ? उत्तर - उसने आस्रव, वन्ध और सवर को एक माना- कर्मकारक को नही माना । प्रश्न ६७ -- देव- गुरु- शास्त्र से सम्यक्दर्शन माने तो क्या दोष आवेगा ? उत्तर - उसने जीव, अजीवतत्व और सवर को एक माना -- कर्म कारक को नही माना । प्रश्न ६८ - अणुव्रतादि बाहरी क्रिया से श्रावकपना माने तो क्या दोष आवेगा ? उत्तर - उसने अजीव और सवर को एक माना -- कर्म कारक को नही माना । प्रश्न ६६- शुभ भावरूप अणुव्रतादि से संवर माने तो क्या दोष आवेगा ? उत्तर - उसने आस्रव, बन्ध तत्व और सवर को एक माना- कर्म कारक को नही माना । प्रश्न १०० - २८ मूलगुण बाहरी क्रिया से सुनिपना माने तो क्या दोष आवेगा ? t
SR No.010117
Book TitleJain Siddhant Pravesh Ratnamala 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDigambar Jain Mumukshu Mandal Dehradun
PublisherDigambar Jain Mumukshu Mandal
Publication Year
Total Pages253
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size8 MB
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