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________________ ( ३२ ) कर्मकारक का स्पष्टीकरण प्रश्न ६८-मकारक किसे कहते हैं ? उत्तर-कर्ता जिस परिणाम को प्राप्त करता है वह परिणाम उसका कर्म है। कर्ता का इण्ट वह कर्म है। प्रश्न ६६-८र्म के पर्यायवाची शब्द क्या-क्या है ? उत्तर-कार्य, अवस्था, पर्याय, परिणाम, परिणति आदि कर्म के पर्यावाची शब्द है। प्रश्न ७०-कार्य के कर्ता कितने कहलाते हैं ? उत्तर-चार कहलाते हैं, उस समय पर्याय की योग्यता कर्ता; अनन्तर पूर्व क्षणवर्ती पर्याय कर्ता, त्रिकाली कर्ता और निमित्त कर्ता। प्रश्न ७१-कार्य का सच्चा कर्ता कौन है और कौन नहीं है ? उत्तर--उस समय पर्याय की योग्यता ही प्रत्येक कार्य का सच्चा कर्ता है । अनन्तर पूर्व क्षणवर्तीय पर्याय, त्रिकाली और निमित्त, कार्य के सच्चे कर्ता नहीं है। प्रश्न ७२-कार्य के अनन्तर पूर्व क्षणवर्ती पर्याय, त्रिकाली और निमित्त, सच्चे कर्ता क्यो नहीं है ? उत्तर-(१) पर्याय मे से पर्याय नही आती इसलिए अनन्तर पूर्व क्षणवर्ती पर्याय कार्य का सच्चा कर्ता नही है (२) कार्य एक समय का हो उसका कर्ता अनादिअनन्त रहने वाला हो यह भी ठीक नही (३) निमित्त को कर्ता कहने का प्रश्न ही नहीं उठता क्योकि दोनो का स्वचतुष्ट्य भिन्न-भिन्न है। प्रश्न ७३-कार्य का कर्ता त्रिकाली को और कहीं अनन्तर पूर्व क्षणवर्ती पर्याय को क्यो कहा जाता है ? उत्तर-(१) पर द्रव्यो से भिन्न करने के लिए कार्य का कर्ता त्रिकाली को कहा जाता है। (२) पूर्व की पर्याय का ज्ञान कराने के लिये अनन्तर पूर्व क्षणवर्ती पर्याय को कार्य का कर्ता कहा जाता है (३) इसलिए त्रिकाली कर्ता से और भूत-भविष्य की पर्यायो से और
SR No.010117
Book TitleJain Siddhant Pravesh Ratnamala 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDigambar Jain Mumukshu Mandal Dehradun
PublisherDigambar Jain Mumukshu Mandal
Publication Year
Total Pages253
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size8 MB
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