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________________ ( १२६ ) योग्यता ही कारण है । (४) मास्टर ५० लडको को पढाता है सबको एकसा ज्ञान क्यो नही होता है ? तो आपको कहना पडेगा, "उस समय पर्याय की योग्यता" ही कारण है । (५) सामने लोकालोक है । लोकालोक का ज्ञान केवली को होता है, आपको क्यो नही होता है ? तो कहना पडेगा, "उस समय पर्याय की योग्यता" ही कारण है । (६) भगवान की दिव्यध्वनि खिरती है, क्या सबको एकसा ज्ञान होता है ? आप कहेगे नही । तो हम कहते हैं ऐसा क्यो है ? आप कहोगे "उस समय पर्याय की योग्यता" ही कारण है । याद रक्खो - वास्तव मे कोई भी कार्य होने में या बिगडने मे "उस समय पर्याय की योग्यता ही " साक्षात् साधक है । प्रश्न ७ -- आचार्यों ने घवल १६० मे योग्यता के विषय में क्या बताया है ? उत्तर- (१) द्रव्यार्थिकनय से द्रव्य मे तीनो काल की पर्यायो रूप अपने-अपने समय में परिणमन करने की योग्यता है । (२) पर्यायाथिकनय से द्रव्य मे जो वर्तमान पर्याय होती है वह उसी रूप से परि मन की योग्यता रखती है ( ३ ) इससे यह सिद्ध हुआ वर्तमान पर्याय भूत या भविष्य मे परिणमे ऐसा कभी भी नही होता है । भूतकाल की कोई भी पर्याय मे आगे-पीछे काल मे होने की योग्यता नही रखती है । भविष्य की पर्याय उससे पहले हो जावे या पीछे हो जावे, ऐसी योग्यता नही रखती है । इसलिए किसी भी द्रव्य की किसी भी पर्याय को अनिश्चित मानना जिनमत से बाहर है । ( ४ ) यह जीव इतना काल बीतने पर मोक्ष जायेगा, ऐसी नोध केवलज्ञान मे है । (समयसार कलश टीका कलज्ञ न० ४ पृष्ठ ५) (५) केवलज्ञान एक ही समय मे सर्व आत्म प्रदेशो से समस्त द्रव्य-क्ष ेत्र - काल भाव को जानता है । ( प्रवचनसार गा० ४७ का रहस्य ) प्रश्न ८ - योग्यता से क्या सिद्ध हुआ ? उत्तर - (१) बम पडना ( २ ) बहुत से मनुष्यों का एक साथ
SR No.010117
Book TitleJain Siddhant Pravesh Ratnamala 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDigambar Jain Mumukshu Mandal Dehradun
PublisherDigambar Jain Mumukshu Mandal
Publication Year
Total Pages253
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size8 MB
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