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________________ ( १२२ ) उत्तर - ( १ ) आत्मा का दर्शनगुण त्रिकाली उपादान कारण, केवलदर्शन उपादेय, (२) अचक्षु दर्शन अनन्तरपूर्व क्षणवर्ती पर्याय क्षणिक उपादानकारण, केवलदर्शन अनन्तर उत्तर क्षणवर्ती पर्याय उपादेय, (३) केवलदर्शन उस समय पर्याय की योग्यता क्षणिक उपादान कारण, केवलदर्शन उपादेय । प्रश्न २३३ --- अन्तराय कर्म का अभाव में तीनों प्रकार के उपादानउपादेय बताओ ? उत्तर -- (१) कार्माण वर्गणा त्रिकाली उपादान कारण, अन्तराय द्रव्य कर्म का अभाव उपादेय, (२) अन्तराय कर्म का क्षयोपशम अनन्तरपूर्व क्षणवर्ती पर्याय क्षणिक उपादान कारण, अन्तराय कर्म का अभाव अनन्तर उत्तर क्षणवर्ती पर्याय उपादेय, (३) अन्तराय कर्म का अभाव उस समय पर्याय की योग्यता क्षणिक उपादान कारण, अन्तराय कर्म का अभाव उपादेय । प्रश्न २३४ - यथाख्यात चारित्र में तीनो प्रकार के उपादानउपादेय लगाओ ? उत्तर - (१) जीव का चारित्र गुण त्रिकाली उपादानकारण, यथाख्यात चारित्र उपादेय, (२) सकल चारित्र अनन्तरपूर्वं क्षणवर्ती पर्याय क्षणिक उपादानकारण, यथाख्यातचारित्र अनन्तर उत्तर क्षणवर्ती पर्याय उपादेय, (३) यथाख्यात चारित्र उस समय पर्याय की योग्यता क्षणिक उपादानकारण, यथाख्यातचारित्र उपादेय । प्रश्न २३५ - ओपशमिक सम्यक्त्व में तीनो उपादान- उपादेय बताओ ? 1 उत्तर - प्रश्न २३४ के अनुसार उत्तर दो । प्रश्न २३६ - केवलज्ञान मे तीनो उपादान - उपादेय बताओ ? उत्तर - प्रश्न २३४ के अनुसार उत्तर दो । प्रश्न २३७ -- दिव्यध्वनि में तीनो उपादान - उपादेय बताओ ? उत्तर - २३४ के अनुसार उत्तर दो ।
SR No.010117
Book TitleJain Siddhant Pravesh Ratnamala 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDigambar Jain Mumukshu Mandal Dehradun
PublisherDigambar Jain Mumukshu Mandal
Publication Year
Total Pages253
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size8 MB
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