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________________ ( ११७ ) प्रश्न २०८ - क्या बाई कारण और रोटी कार्य । कारणानुविधायोनि कार्याणि को माना ? उत्तर - प्रश्न २०३ से २०६ तक के अनुसार उत्तर दो । प्रश्न २०६ -- क्या पैसा कारण और सुख कार्य । कारणानुविधायोनि कार्याणि को माना ? उत्तर - प्रश्न २०३ से २०६ तक के अनुसार उत्तर दो । प्रश्न २१० - क्या कर्मों का अभाव कारण और मोक्ष कार्यं । कारणातुविधायोनि कार्याणि को माना ? उत्तर - प्रश्न २०३ से २०६ तक के अनुसार उत्तर दो । प्रश्न २११ – क्या गाली कारण और क्रोध कार्य । कारणानुविघायोनि कार्याणि को मानां ? उत्तर - प्रश्न २०३ से २०६ तक के अनुसार उत्तर दो । प्रश्न २१२ -- क्या केवलदर्शन कारण और केवल दर्शनावरणी कर्म का अभाव कार्य । कारणानुविधायीनि कार्याणि को माना ? उत्तर - प्रश्न २०३ से २०६ तक के अनुसार उत्तर दो । प्रश्न २१३ - क्या पैसा ना होना कारण और दुःख कार्य । कारणानुविधायीनि कार्याणि को माना ? उत्तर - प्रश्न २०३ से २०६ तक के अनुसार उत्तर दो । प्रश्न २१४- क्या कर्म का उदय कारण और विकार कार्य । कारणानुविधायोनि कार्याणि को माना ? उत्तर -- प्रश्न २०३ से २०६ तक के अनुसार उत्तर दो । प्रश्न २१५ – क्या ज्ञेय वस्तु कारण और ज्ञान कार्य । कारणानुविधायोनि कार्याणि को माना ? उत्तर - प्रश्न २०३ से २०६ तक के अनुसार उत्तर दो । प्रश्न २१६ -- क्या विकारी भाव कारण और कर्म बंधन कार्य 'कारणानुविधायी नि कार्याणि को माना ? उत्तर - प्रश्न २०३ से २०६ तक के अनुसार उत्तर दो ।
SR No.010117
Book TitleJain Siddhant Pravesh Ratnamala 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDigambar Jain Mumukshu Mandal Dehradun
PublisherDigambar Jain Mumukshu Mandal
Publication Year
Total Pages253
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size8 MB
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