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________________ ( १०७ ) उत्तर–प्रश्न १५७ के अनुसार उत्तर दो। प्रश्न १६२-ज्ञानगुण कारण और ज्ञान कार्य। कारणानुविधायोनि कार्याणि को कब माना और कब नहीं माना? उत्तर-अनन्तरपूर्व क्षणवर्ती पर्याय क्षणिक उपादानकारण नौ नम्बर का अभाव करके उस समय पर्याय की योग्यता क्षणिक उपादानकारण से ज्ञान हुआ है ज्ञान गुण के कारण नही तो कारणानुविधायीनि कार्याणि को माना और ज्ञानगुण से ज्ञान हुआ है तो कारणानुविधायीनि कार्याणि को नही माना। प्रश्न १६३–अनन्तरपूर्व क्षणवर्ती पर्याय क्षणिक उपादानकारण और जानकार्य । कारणानुविधायोनि कार्याणि को कव माना और कन नहीं माना ? उत्तर-ज्ञान-उस समय पर्याय की योग्यता क्षणिक उपादान कारण से हुआ है अनन्तरपूर्व क्षणवर्ती पर्याय क्षणिक उपादानकारण नौ नम्बर से नही तो कारणानुविधायीनि कार्याणि को माना। और अनन्तरपूर्व क्षणवर्ती पर्याय क्षणिक उपादान कारण नौ नम्बर से ज्ञान हुआ तो कारणानुविधायीनि कार्याणि को नही माना। प्रश्न १६४-बाई ने चकले बेलन से रोटी बनाई। इस वाक्य मे से 'बाई के ज्ञान पर' उपादान-उपादेय समझाइये? उत्तर–प्रश्न १३६ से १६३ तक के अनुसार उत्तर दो। प्रश्न १६५--मैने मुह से बोला । इस वाक्य मे से 'ज्ञान पर' उपादान-उपादेय समझाइये? उत्तर–प्रश्न १३६ से १६३ तक के अनुसार उत्तर दो। प्रश्न १६६-मैं पलग पर सोया इस वाक्य मे से 'ज्ञान पर' उपादान-उपादेय समझाइये ? उत्तर-प्रश्न १३६ से १६३ तक के अनुसार उत्तर दो। प्रश्न १६७-मैंने मेज पर से किताब उठाई। इस वाक्य में से 'ज्ञान पर' उपादान-उपादेय समझाइये?
SR No.010117
Book TitleJain Siddhant Pravesh Ratnamala 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDigambar Jain Mumukshu Mandal Dehradun
PublisherDigambar Jain Mumukshu Mandal
Publication Year
Total Pages253
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size8 MB
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