SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 106
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ ( १०० ) उत्तर-प्रश्न ६७ से १२१ तक के अनुसार उत्तर दो। प्रश्न १३२-मुझे दिव्यध्यान से ज्ञान हुआ। इस वाक्य मे से 'मेरे राग पर' उपादान-उपादेय समझाइये? उत्तर--प्रश्न ६७ से १२१ तक के अनुसार उत्तर दो। प्रश्न १३३-मैंने मुगदर के द्वारा कसरत की। इस वाक्य में से मेरे राग पर उपादान-उपादेय समझाइये? उत्तर-प्रश्न ६७ से १२१ तक के अनुसार उत्तर दो। प्रश्न १३४-मुझे लकवा हो गया है इस वाक्य में से मेरे राग पर उपादान-उपादेय समझाइये? उत्तर-प्रश्न ९७ से १२१ तक के अनुसार उत्तर दो। प्रश्न १३५-मैने औजारो से सिमेन्ट द्वारा मकान बनाया। इस वाक्य मे से "मेरे राग पर" उपादान-उपादेय समझाइये ? उत्तर-प्रश्न ६७ से १२१ तक के अनुसार उत्तर दो। प्रश्न १३६-मैंने हाथो से झाडू लगाई। इस वाक्य मे से 'मेरे राग पर' उपपदान-उादेय समझाइये? । उत्तर-प्रश्न ६७ से १२१ तक के अनुसार उत्तर दो। प्रश्न १३७-मैंने मुंह द्वारा गाली दी। इस वाक्य में से 'मेरे राग पर' उपादान-उपादेय समझाइये ? उत्तर-प्रश्न ६७ से १२१ तक के अनुसार उत्तर दो। प्रश्न १३८-मैंने मुंह के द्वारा मिठाई खाई। इस वाक्य मे से 'मेरे राग पर' उपादान-उपादेय समझाइये ? उत्तर-प्रश्न ६७ से १२१ तक के अनुसार उत्तर दो। कुम्हार ने चाक, कीली, डडा, हाथ आदि से चड़ा बनाया-इस वाक्य में से ज्ञानी कुम्हार के ज्ञान पर उपादान-उपादेय का २५ प्रश्नोत्तरो के द्वारा स्पष्टीकरण प्रश्न १३६-घड़ा, चाक, कीली, डंडा हाथ, राग उपादानकारण और ज्ञान उपादेय। क्या यह उपादान-उपादेय का ज्ञान ठीक है ?
SR No.010117
Book TitleJain Siddhant Pravesh Ratnamala 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDigambar Jain Mumukshu Mandal Dehradun
PublisherDigambar Jain Mumukshu Mandal
Publication Year
Total Pages253
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size8 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy