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________________ ( ६६ ) उत्तर–प्रश्न १७ से १२१ तक के अनुसार उत्तर दो। प्रश्न १२३-मैं मुंह से बोला । इस वाक्य मे से 'मैं के राग पर' उपादान-उपादेय समझाइये? उत्तर-प्रश्न ६७ से १२१ तक के अनुसार उत्तर दो। प्रश्न १२४-मै पलग पर सोया। इस वाक्य मे से 'मैं के राग पर' उपादान-उपादेय समझाइये ? उत्तर-प्रश्न ६७ से १२१ तक के अनुसार उत्तर दो। प्रश्न १२५-मैने मेज पर से किताब उठाई। इस वाक्य में से मेरे राग पर उपादान-उपादेय समझाइये ? उत्तर–प्रश्न ६७ से १२१ तक के अनुसार उत्तर दो। प्रश्न १२६-मैंने औजारो से अलमारी बनाई। इस वाक्य से मेरे राग पर उपादान-उपादेय समझाइये ? उत्तर-प्रश्न ६७ से १२१ तक के अनुसार उत्तर दो। प्रश्न १२७-मैंने चाबी द्वारा दुकान खोली। इस वाक्य मे से मेरे राग पर उपादान-उपादेय समझाइये ? उत्तर-प्रश्न ६७ से १२१ तक के अनुसार उत्तर दो। प्रश्न १२८-मैं ने चारपाई पर बिस्तरा बिछाया। इस वाक्य मे से मेरे राग पर उपादान-उपादेय समझाइये ? उत्तर-प्रश्न ६७ से १२१ तक के अनुसार उत्तर दो। प्रश्न १२६–मैंने शरीर पर कपड़े पहिने। इस वाक्य मे से मेरे राग पर उपादान-उपादेय समझाइये ? उत्तर-प्रश्न ६७ से १२१ तक के अनुसार उत्तर दो। प्रश्न १३०-मैंने हाथो से रुपया कमाया। इस वाक्य मे से मेरे राग पर अपादान-उपादेय समझाइये? उत्तर-प्रश्न ६७ से १२१ तक के अनुसार उत्तर दो।। प्रश्न १३१–मुझे आँख द्वारा ज्ञान हुआ। इस वाक्य मे से मेरे राग पर उपादान-उपादेय समझाइये ?
SR No.010117
Book TitleJain Siddhant Pravesh Ratnamala 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDigambar Jain Mumukshu Mandal Dehradun
PublisherDigambar Jain Mumukshu Mandal
Publication Year
Total Pages253
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size8 MB
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