SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 145
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ उ० ( १३७ ) दिगम्बर धर्मी कहलाने पर भी ऐसा क्यों कहते हैं कि (१) केवली भगवान भूत और वर्तमान पर्यायों को हो जानते हैं और भविष्यत पर्यायों को वह हो तब जानते हैं, (२) सर्वज्ञ भगवान अपेक्षित धर्मों को नहीं जानते; (३) केवली भगवान भूत भविष्यत पर्यायों को सामान्य रूप से जानते हैं किन्तु विशेष रूप से नहीं जानते । (४) केवली भगवान भविष्य की पर्यायों को समग्र रूप से जानते हैं भिन्न २ रूप से नहीं जानते । (५) ज्ञान मात्र ज्ञान को ही जानता है । ( ६ ) सर्वज्ञ के ज्ञान में पदार्थ झलकते हैं किन्तु भूत भविष्य की पर्यायें स्पष्ट रूप से नहीं झलकती । क्या उन त्यागी पंडित नाम धराने वालों का कहना ठीक है या गलत है ? बिल्कुल गलत है । ( १ ) शास्त्र तमाम भवलिंगी मुनियों के बनाये हुए हैं उनमें भूत प्रौर भविष्यत की पर्यायों का स्पष्ट उल्लेख है जबकि प्रवधिज्ञानी, मन:पर्यय ज्ञानी तो भूत भविष्य की पर्यायों को जाने केवली ना जाने देखो कितना अनर्थ है । (२) भरत जी ने भूत भविष्यत वर्तमान चौबीसो की स्थापना की, वह कहां से आई; (३) मारीच २४वा तीर्थकर होगा; द्वारिका में १२ वर्ष बाब भाग लगेगी - यह कहां से श्राई;
SR No.010116
Book TitleJain Siddhant Pravesh Ratnamala 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDigambar Jain Mumukshu Mandal Dehradun
PublisherDigambar Jain Mumukshu Mandal
Publication Year
Total Pages219
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size8 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy