SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 133
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ पाल के कारण नहीं प्र० ३२. क्या ( १ ) केवलज्ञान ( २ ) केवल दर्शन ( ३ ) सिद्ध दशा (४) संसार दशा सब एक २ समय की है ? ( १२५ ) | उ० हां सब एक २ समय की है। वास्तव में एक २ समय की पर्याय वह भव है । सूक्ष्म ऋजुसूत्र नय की अपेक्षा चारों गति भी एक २ समय की हैं । प्र० ३३. यदि द्रव्यत्व गुरण न माने तो क्या नुकसान हो ? उ उ. प्र ० ३४. संसार और मोक्ष एक २ समय का है इसको जानने से क्या लाभ है ? (१) द्रव्य गुण को कूटस्थापने का प्रसंग उपस्थित होवेगा । (२) संसार और मोक्ष का प्रश्न ही नहीं रहेगा । हे ग्रात्मा तू नादिअनंत भगवान है उसका अ श्रय ले तो एक समय के संसार का प्रभाव करके मोक्ष की प्राप्ति कर सकता है । उ. प्र० ३५. मैं बड़ा पापी हूँ, मेरा पाप जन्मों जन्मों दुख देगा - क्या यह ठीक है ? बिल्कुल गलत । द्रव्यत्व गुण के कारण पर्याय बदल गई तब दुःख का प्रश्न ही नहीं उठता है । प्र० ३६. वस्तुत्व गुण के बाद द्रव्यत्व गुरण बताने के पीछे क्या रहस्य है ?
SR No.010116
Book TitleJain Siddhant Pravesh Ratnamala 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDigambar Jain Mumukshu Mandal Dehradun
PublisherDigambar Jain Mumukshu Mandal
Publication Year
Total Pages219
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size8 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy