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________________ शुक्लध्यान में निरत तीर्थकर शांति के प्रतीक होते हैं। उनमें से सभी प्रकार की बेचनियाँ निकल चुकी होती हैं । उन्हें जन्म से ही पूर्व संस्कार के रूप में वीतरागता मिलती है । उसी स्वर में वे पलते, बढ़ते, भोग-भोगते और दीक्षा लेते हैं। कभी विलासों में तैरते-उतराते, कभी राज्यों का संचालन करते और कभी शत्रुओं को पराजित करते; किन्तु वह स्वर सदैव पवन की भांति प्राणों में भिदा रहता । अवसर पाते ही वह उन्हें वन-पथ पर ले छोड़ता । चिताएँ स्वतः पीछे रह जातों । वीतगगता शुक्लध्यान के रूप में फूल उठती । नासिका के अग्र भाग पर टिकी दृष्टि 'चिताभिनिरोध' को स्पष्ट कहती। वह एकाग्रता की बात कहती रहती । और फिर मुख पर आनन्द का अनवरत प्रकाश छिटक उठता। अनुभव रस अपनी परमावस्था में प्रकट हो जाता। उसकी झलक से तीर्थकर का सौदर्य अलौकिक रूप को जन्म देता, जिसे इन्द्र, सूर्य और चन्द्र जैसे रूपवन्तों का गर्व विगलित हो बह जाता । यह सच है कि उन परमशांति का अनुभव करते तीर्थंकर के दर्शन से 'प्रशुभ' नामधारी कोई कर्म टिक नहीं सकता था फिर यदि उनके स्मरण से अनहद बाजा बज उठता हो, तो गलत क्या है । जगराम ने लिखा है निरखि मन मूरति कैसी राज। तीर्थकर यह ध्यान करत हैं, परमातम पद काजै । नासा अग्र दृष्टि कौं धारे, मुख मुलकति मा गाजै । अनुभव रस झलकत मानौ, ऐसा पासन शुद्ध विराजै । अद्भुत रूप अनुपम महिमा, तीन लोक में छाजै । जाकी छबि देखत इन्द्रादिक, चन्द्र सूर्य गण लाजै । धरि अनुराग विलोकत जाकौं,अशुभ करम तजि भाजै । जो जगराम बनै सुमिरन तौ, अनहद बाजा बाजै ।।' संसार के दुःखों से त्रस्त यह जीव शाति चाहता है। यहाँ शांति का अर्थ शाश्वत शांति से है । अर्थात् वैभव और निर्धनता दोनों ही में उसे शांति नहीं मिलती । अथवा वह सांसारिक वैभवों से उत्पन्न मुख-विलास को शांति नहीं यह ससार सुपन की माया, मांख मीचि दिखराव रे । घ्याव-ध्याव रे अब है दाव रे, नाही मगल गाव रे । द्यानत बहुत कहाँ लो कहिये, फेर न कछू उपाव रे । द्यानत पद सग्रह, ७० वां पद, पृ० २६-३० । १. हस्तलिखित 'पद-संग्रह', न० ४६२, पत्र ७६, वधीचन्द जी का मन्दिर, जयपुर । SECSAPP rIPTIPy FE55*5*5555 9595555
SR No.010115
Book TitleJain Shodh aur Samiksha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPremsagar Jain
PublisherDigambar Jain Atishay Kshetra Mandir
Publication Year1970
Total Pages246
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size20 MB
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