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________________ जैन-शिलालेख-संग्रह [१४. २५७२४८ उखलद (परभणी, महाराष्ट्र) सं० १६(५)१ = सन् १५९५, संस्कृत-नागरी ये लेख जिनमूर्तियो के पादपीठों पर है । पहले में मूलसंघ के वादिभूषण भट्टारक का नाम अकित है । दूसरे मे स० १६(५)१ में वादिभूषण के उपदेश से लखमा की पत्नी लखमादे द्वारा पार्श्वनाथ मूर्ति की स्थापना का उल्लेख है। रि० इ० ए० १९५८-५९ शि० ऋ० बी० २६४, २५८ २४९ सोनागिरि ( दतिया, मध्य प्रदेश) लिपि १६वीं सदी की, संस्कृत-नागरी यहां के मन्दिर नं० १३ की एक मूर्ति के पादपीठ पर यह लेख है। इस मे कुंदकुंदान्वय तथा भुमनलाल ये नाम अंकित है। रि० ३० ए० १९६३-६४ शि० ऋ० बी १३९ २५० खंडेला ( सीकर, राजस्थान ) सं० ११(६) १ = सन् १६०५, संस्कृत-नागरी इस लेख में मार्गशिर व० ५ गुरुवार स० १६(६)१ के दिन शान्ति. नाथ मन्दिर के निर्माण का वर्णन है। रि० इ० ए० १९५९-६० शि० ऋ० बी ५९०
SR No.010114
Book TitleJain Shila Lekh Sangraha 05
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVidyadhar Johrapurkar
PublisherBharatiya Gyanpith
Publication Year1971
Total Pages97
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size2 MB
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