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________________ - १९] हगरिटगे १३५-१३६-१३७ उखळद (परभणी, महाराष्ट्र) सं० १२७२= सन् १२१५, संस्कृत-नागरी जैन मन्दिर की तीन मूर्तियो के पादपीठो पर ये लेख है । माघ शु० ५ सं० १२७२ को मूलसंघ-सरस्वतीगच्छ के भ० धर्मचन्द्र ने ये मूर्तियां स्थापित की थीं। दूसरे लेख में राजा प्रतापदमनदेव का नाम भी है। तीसरे लेख मे राजा रायहमीर देव का नाम है। रि० १० ए० १९५८-५६ शि० ऋ० बी २१० से २१२ १३८ सोनागिरि ( दतिया, मध्यप्रदेश) सं० १२७१ = सन् १२१५, संस्कृत-नागरी यहाँ की पहाडी पर मन्दिर न० ५७ मे रखी हुई मूर्ति के पादपीठ पर यह लेख है । इस मे उक्त वर्ष तथा मूलसंघ-सरस्वती गच्छ के भ० धर्मचन्द्र का नाम अकित है। रि० १० ए० १९६२-६३, शि० ० बी ३७३ १३९ हगरिटगे ( गुलबर्गा, मैसूर ) शक ११४७ = सन् १२२४, कन्नर आषाढ़ शु० ११ शुक्रवार शक १९४७ तारण संवत्सर के दिन मूलसंघ-देशोगण-पुस्तकगच्छ-गोमिनि अन्वय के आचार्य देवचन्द्र का समाधिमरण हुआ था। उन की स्मृति मे बब्बर कलिसेट्टि ने यह लेख स्थापित किया था। रि० १० ए० १९५६-६० शि० क० बो ४६५
SR No.010114
Book TitleJain Shila Lekh Sangraha 05
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVidyadhar Johrapurkar
PublisherBharatiya Gyanpith
Publication Year1971
Total Pages97
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size2 MB
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