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________________ - १०१ ] नासून ९९ देवगढ़ ( झाँसी, उत्तरप्रदेश ) ४७ सं० १२१० = सन् ११५४, संस्कृत नागरी यहाँ के मन्दिर नं० ७ में यह लेख है । स० १२१० में महासामन्त उदयपाल का इस मे नामोल्लेख है । रि० ३० ए० १६५६-६० शि० क्र० सी ५०७ १०० खजुराहो ( छतरपुर, मध्यप्रदेश ) संवत् १२१५ = सन् ११५८, नागरी-संस्कृत ॥ श्रीसंवत् १२१५ मात्र सुदि ५ रवौ देशीगणे पडितः श्रीराजनंदि तत् सिष्य पंडितः श्रीमानुकीर्ति भर्जिका मेकुश्रा अभिनन्दनस्वामिनं नित्यं प्रणमति ॥ यह लेख खजुराहो के श्रीशान्तिनाथ मन्दिर में स्थित जिनमूर्ति के पादपीठ पर है । तात्पर्य मूल लेख से स्पष्ट हो है । दिसम्बर १९६६ में प्रत्यक्ष दर्शन के अवसर पर यह विवरण अकित किया गया था । १०१ नासून ( अजमेर संग्रहालय, राजस्थान ) सं० १२१६ = सन् ११६०, संस्कृत - नागरी जैन सरस्वती मूर्ति के पादपीठ पर यह लेख है । वैशाख शु० ( ४ ) सं० १२१६ के इस लेख मे माथुर संघ के आचार्य चारुकीति के शिष्य सोनम और राहिल की कन्या वीग का नामोल्लेख है । रि० ३० ए० १६५७-५८ शि० क्र० बी ४१६
SR No.010114
Book TitleJain Shila Lekh Sangraha 05
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVidyadhar Johrapurkar
PublisherBharatiya Gyanpith
Publication Year1971
Total Pages97
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size2 MB
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