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________________ जैन - शिलालेख संग्रह महाराष्ट्र में प्राप्त लेखो में लगभग एक चौथाई तथा आन्ध्र में प्राप्त प्राय सभी लेख कन्नड भाषा में है । (इ) उद्देश - इन लेखो में दो ( क्र० १ व २ ) गुहानिर्माण के, ४० मन्दिरनिर्माण के तथा ५० आचार्यों व श्रावकों के समाधिमरण के स्मारक है । ४० लेखो मे जैन मन्दिरो व आचार्यों को दिये गये दानो का वर्णन है। एक-एक लेख मे व्रत का उद्यापन, दानशाला का निर्माण, कुँए का निर्माण तथा दो भट्टारको के विवाद का निपटारा यह वर्ण्य विषय है ।' लगभग ५० लेखो मे यात्रियों के नाम अकित है । सब से अधिक १७५ लेख मूर्तिस्थापना के विषय मे है । ។ १६ (ई) समय- - सब लेख समय क्रमानुसार रखे गये है । इन मे सब से पुरातन सन् पूर्व दूसरी सदी का है । शताब्दी क्रम से लेखो की संख्या इस प्रकार है- सन् पूर्व दूसरी सदी १, सन् पूर्वं प्रथम सदी १, ईसवी सन् की चौथी सदी १, सातवी सदी ३, आठवी सदी २, नौवी सदी ५, दसवी सदी १३, ग्यारहवी सदी ४४, बारहवी सदी ६०, तेरहवी सदी ४३, चौदहवी सदी १४, पन्द्रहवी सदी ३७, सोलहवी सदी २१, सत्रहवी सदी २४, अठारहवी सदी ११ तथा उन्नीसवी सदी २२ । अन्त में दिये गये ६९ लेखो के समय का विवरण नही मिल सका । कई लेखो का समय पुरातत्त्व विभाग के अधिकारियो ने जैसा किया गया है । यह एक डेढ शताब्दी से जिन लेखो मे लिपि के आधार पर समय निकालते समय यह बात ध्यान में रखनी लिपि के स्वरूप को देख कर बताया है वैसा ही यहाँ नोट आगे-पीछे का हो सकता है। बताया है उन से कोई निष्कर्ष चाहिए । (3) लेखो के कुछ मुख्य प्राप्तिस्थान — इस सकलन के लेखो का काफ़ी बडा भाग चार स्थानो से प्राप्त हुआ है । १ क्रमश लेख क्रमांक ११८, १७३२५३ तथा ३०४ ।
SR No.010114
Book TitleJain Shila Lekh Sangraha 05
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVidyadhar Johrapurkar
PublisherBharatiya Gyanpith
Publication Year1971
Total Pages97
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size2 MB
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