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________________ परिशिष्ट-नागपुस्के लेख ३१५ यन्त्र ६ (३६) दशलक्षण यन्त्र ६ (३७) षोडशकारण यन्त्र २ (३८) कलिकुण्ड यन्त्र १ (३९) सिद्ध यन्त्र १ (४०) नवग्रह यन्त्र १ (४१) जलयात्रा यन्त्र १ । इन मूर्तियों आदिमें ५२९ के पादपीठों अथवा किनारोंपर लेख हैं। ऐसे लेखोंकी संख्या ३२४ है ( जहाँ दो अथवा अधिक मूर्तियोंपर एक ही लेख है वहां हमने उस लेखको एक लेखके रूपमें ही गिना है।) समयकी दृष्टिसे ये लेख आठ सदियोंमे इस प्रकार विभक्त हैं - विक्रम तेरहवीं सदी ४, पन्द्रहवीं सदी ३, सोलहवीं सदी २२, सत्रहवीं सदी ५१, अठारहवीं सदी ७२, उन्नीसवीं सदी ६९ तथा बीसवीं सदा १००। इन सब लेखोंकी भाषा अशुद्ध संस्कृत है। कुछ लेखोंमें नागपुरकी स्थानीय भाषाओं-हिन्दी तथा मराठोका अंशतः प्रयोग हुवा है (लेख क्र. २०६,२६३,२६७,२६९,२७८,२८५) किन्तु शुद्ध हिन्दी या मराठीमें कोई लेख नहीं है। एक लेख (क्र. ७३) कन्नडमे तथा एक (क्र० ३१९) उर्दूमे है किन्तु इनका वाचन प्राप्त नहीं हो सका। मूर्तिप्रतिष्ठाके स्थानाके सोलह नाम उल्लिखित हैं - नागपुर (क्र. १५२,१९०-२,२१२.२१५,२१६,२२०-१,२२७,२२९,२३१,२३३, २३५, २४२,२४७,२४९,२५०,२५५-७,२५९,२६१,२७९,२८२,२९५), कारंजा (क्र. ८१,१२५,१५७-८,२१०), सिरसग्राम (क्र० २०२,२०४ ), रामटेक (क्र०७३,२५३ ) भीसो (क्र. १४३ ), तजेगांव (क्र० १०६ ) उमरावती ( क्र० १९९), इंगोली ( क्र. २३२ ), संजालपुर (क्र० ७०) बहादरपुर ( ऋ० ६५ ), अवडनगर (क्र० १३० ) सिवनी (क्र० २८०) छपारा ( क्र० २८४ ), कामठी ( ऋ० १५४ ), सावरगांव (क्र. २९३), सवाई जयनगर ( ऋ० १९३)। प्रतिष्ठाकर्ता व्यक्तियोंकी पन्द्रह जातियोंका उल्लेख मिलता है - राइकवाल (क्र. ९), अगरवाल (क्र० ५३ ), गंगराडा (क्र० १०), गोलसिंघारा (क्र. ७३ ), पल्लीवाल (क्र० ५१), गुजरपल्लीवाल (क्र. २१), पपावती पल्लीवाल (क्र० ११४), उज्जेनीपल्लीवाल
SR No.010113
Book TitleJain Shila Lekh Sangraha 04
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVidyadhar Johrapurkar
PublisherManikchand Digambar Jain Granthamala Samiti
Publication Year
Total Pages568
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size12 MB
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