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________________ परिशिष्ट श्वेताम्बर लेखोंकी सूचना [पहले संग्रहको पद्धतिके अनुसार हम यहाँ श्वेताम्बर सम्प्रदायसे सम्बद्ध लेखोंकी सूचना दे रहे हैं। इस सूचीमें सरकारी प्रकाशनोंमें प्रकाशित लेखोंका अन्तर्भाव है। श्री० पूरणचन्द नाहरका प्राचीन जैनलेखसंग्रह, श्री० अगरचन्द नाहटाका बीकानेर जैनलेखसंग्रह, आदि ग्रन्थोंमें प्रायः श्वेताम्बर सम्प्रदायके ही लेख है। इन लेखोंकी संख्या ३५००से, ऊपर है। इनका प्रस्तुत सुचीमें उल्लेख आवश्यक नहीं समझा गया।] कोटा ( बडोदा, गुजरात ) - ८वीं सदी रि० इ० ए० १९५२-५३ क्र. १६-१९ २ अकोटा -1वीं-१०वीं सदी रि० इ० ए० १९५२-५३ क्र० २०-३५ तथा ३९-४८ ३ बडोदा (गुजरात)-सं०१०१३ =सन् १०३७ रि० इ० ए० १९५३-५४ क्र० १६९-७१ • भरतपुर (राजस्थान )-सं० ११०१%Dसन् १०५३ रि० इ० ए० १९५२-५३ क्र. ३८८, ३९४ ५ पाबू ( राजस्थान)-सं० १११९ = सन् २०६३ ए०६०९३० १४८ सिरोही (राजस्थान ) सं० ११३५ - सन् १०७॥ __ रि० आ० स० १९२१-२२ पृ० ११९ ७ कारोल (गुजरात) -सं० १९४० - सन् १०८४ रि० इ० ए० १९५२-५३ ० ए २
SR No.010113
Book TitleJain Shila Lekh Sangraha 04
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVidyadhar Johrapurkar
PublisherManikchand Digambar Jain Granthamala Samiti
Publication Year
Total Pages568
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size12 MB
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