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________________ ३२८ जैनशिलालेख-संग्रह ४८१ महेश्वर ( मध्यप्रदेश) सं० १६२७ = सन् १५७१, संस्कृत-नागरी [ यह लेख सम्राट अकबरके राज्यकालमे संवत् १६२७ में लिखा गया था। मालवामे उस समय ख्वाजा अजोझ बेग प्रान्तीय शासक नियुक्त था। इस समय मण्डलोई सुजानरायने महेश्वरस्थित आदिनाथमन्दिरका जीर्णोद्धार किया। अकबरके शासनकालके अन्य दो लेख यहीं प्राप्त हुए हैं। इनमे मण्डलोई देवदास ( सुजानरायके बन्धु ) द्वारा संवत् १६२२ में महेश्वर मन्दिरका तथा संवत् १६२६ मे कालेश्वर मन्दिरका जीर्णोद्धार किये जानेका उल्लेख है। इस तरह जैन सज्जनों द्वारा जैनेतर मन्दिरोंको सहायताका यह उदाहरण है।] [इ० हि० का० १९४७ पृ० ३९२ ] ४८२ कुश्चंगि ( तुंकूर, मैसूर ) सन् १५७३, काड [ इस मूर्तिलेखमें कहा है कि नाल्कुवागिलु निवासी बोम्मिसेट्टिके पुत्र दानप्पने यह मूर्ति तथा प्रभावलि सन् १५७३मे स्थापित की।] [ए० रि० मै० १९१६ पृ० ८४ ] चित्तामूर ( द० अर्काट, मद्रास ) शक १५००=सन् १५७८, कमर-तमिल-संस्कृत [ यह लेख स्थानीय जिनमन्दिरके मानस्तम्भपर है। इस स्तम्भकी
SR No.010113
Book TitleJain Shila Lekh Sangraha 04
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVidyadhar Johrapurkar
PublisherManikchand Digambar Jain Granthamala Samiti
Publication Year
Total Pages568
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size12 MB
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