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________________ -४१९ ] मामिका केल સ माविमरे ( कडूर, मैसूर ) १४वीं सदी, कचड १ स्वस्ति श्रीमतु मन्मवसंवत्सर प्रथम श्रावण झु । गुरुवार पुष्यनक्षत्रदलू श्रीचंद्रनाथन चैरथाकबदलू २ तोलहरवलिय अनलकसेहितिय मग आदिसेहिय येरमिसिद चतुर्विंशतितीर्थंकरप्रतुमंच बिरिसि कु २९० ३ तार्थ नादेन मद्र शुभं मंगलं भूयात् पुनदर्शनं शुभं मंगल महा श्री श्री श्री [ इस लेखमें चतुविंशति तीर्थकर मूर्तिकी स्थापनाका उल्लेख है । अनंत कसेट्टितिके पुत्र आदिसेट्टिने यह मूर्ति स्थापित की थी । तिथि प्रथम श्रावण शु० (?) मन्मथ संवत्सर ऐसी दी है। लिपि १४वीं सदीकी है । ] [ ए०रि० मं० १९४६ १० ३७ ] ४२० गेरसोप्पे (मैसूर) शक १३२३= सन् १४०१, कन्नड १ श्रीमत्परमगंभीरस्यादवादामोघलांछनं जी २ यात् त्रैलोक्यनाथस्य शासनं जिनशासनं ३ नगिरि कुलचक्रवर्ति....राजनिर्जित... ४ ला सामन्तर बलियं यिन्ता होमभूपनलियं आ साम ५ न्तन पुत्रनर्थिकामं कोमल "मरसं भरिनृपालनातन ... ६ दे.घर चारुकीर्तिपण्डित सद्गुरुप्रभु आ कामनृपालन मान ७ योजि राज्यमे नगिरियुमनितुं तनगागे बैचणभूपति म... ८ नेगल रिपुसैन्य 'नवरन पदसरसि जिन मुनिपादांबुजात "नृपाल
SR No.010113
Book TitleJain Shila Lekh Sangraha 04
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVidyadhar Johrapurkar
PublisherManikchand Digambar Jain Granthamala Samiti
Publication Year
Total Pages568
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size12 MB
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