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________________ -३१८] बेलगांवका देख १० लोचद्भाग्यं सुस्थिरेयनोसेदु कोडे महीभृषिकायोत्तमनप्पी लक्ष्मिदेवंगेने मिगे तलेदल चंद्रिकादेवि चेल्वं ॥ प्रणुतश्रीनिधि चंद्रिका११ सतिय शीलवातमं कूडे धारिणियोल वण्णिसलारुमातपरे लक्ष्मोझेशनं क्षत्रियाग्रणियं शील मचिसल फणिपनं पूण्डे१२ ते तां तन कयगुणमं कंडुदरिंदवं पोगलला विश्वजिह्वालियिं ॥ नरपतिलक्ष्मिदेवसति चंदलदेवि निजोद्धहस्तदि धरंगेसेयल्के १३ संक्रमणदोल कुडे कांचनम बेरलगलोल बेरेसेद हेमकालिकेय कप सेदियुदु बाहुकल्पवल्लरिय तलप्रवालद नखप्र१४ सवक्केलसिर्द तुंबिवोल ॥ श्रीवसुदेवनंतेस्त्र लक्ष्मनृपंगवनिंद्य देवकीदेविवोलोप्पुर्वी विनुतचंदलदेविगमादरात्मजर भूवलय१५ प्रबबलकेशचरेंदेने कार्तवीर्यधात्रीवरमल्लिकार्जुनकुमारकरूर्जित. शौर्यशालिगल ॥ दृढशोर्य कार्तवीर्य तल१६ रे बलयुतं दिग्जय कन्यधात्रीपतिगल बेनित्तु नीरं पुगलवर शरी रोष्णदि बत्ति चित्तोद्गतमीत्युत्कर्षवृत्तिप्रसरणविसरद्ध१७ मतोयोमियिं विस्तृतमागल हानियुं वृद्धियुमदु निजममोधिगेंब विमूढर् ॥ ई कमनीयवाजिचयमी क. १८ रिसंकुलमी विलासिनीलोकमिवेम्मवा कविय कालेगदोल बयला जियोल पुराणीकद युद्धदोल पिडिदनितिवनी कलिकार्तवीर्यनेंदा१९ कुलमागि नोडुबुदु बन्धनशालेयोल इदरिब्रजम् ॥ श्रीरहवंशमेंब सुमेरुवनायिसि कल्पकुजननमेनले राराजि२० पुदुदो विबुधाधारं श्रीमत्कुलं प्रमोदनिवासं । प्रा महनीय कुलक्के शिरोमणि मज्यांबुजक्के तेजोमणि रक्षामणि बुधविततिगे
SR No.010113
Book TitleJain Shila Lekh Sangraha 04
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVidyadhar Johrapurkar
PublisherManikchand Digambar Jain Granthamala Samiti
Publication Year
Total Pages568
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size12 MB
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