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________________ सिरोही के लेख ७१७ सिरोहो, संस्कृत | [ सं० १७२१ = १६६४ ई० ] श्वेताम्बर लेख | [ H. H. Wilson, Asiat. Res., XVI, p. 316, No. XLIII, &.] ७१८ श्रवणबेलगोला - कच्च । [ वर्ष सौम्य = १६६० १ ( लु. राइस ) ] [ जै० शि० सं०, प्र० भा० ] ७१६ मदनेः - कन्नड़ | [ शक १५१६ = १६७४ ई० ] [ मदने ग्राम में, ग्राम-प्रवेशके पास के एक पाषाणपर ] ५६६ श्री शक-वर्ष १५६५ नेय परिधावि-संवत्सरद पुष्य शुद्ध १० यति श्रीमतु-मैसूर देव-राज-औडेयरु बेळगोळ चारुकीप्तिं पण्डिताचार दान - शालेय जैन - संन्यासिगळिगे नित्य- अन्न-दान के सर्व्वमान्य- यागि धारादत्त - वाग को मणि- ग्रामवु मंगल महा श्री श्री श्री ॥ [ ( उक्त मितिको ) मैसूर के देवराज-वोडेयरने बेळगोळके चारुकीर्त्ति पण्डिताचार्यकी दानशाला के जैन - संन्यासियोंको आहार दान देनेके लिये मदणि गाँव दान में दिया । महान् सौभाग्य । ] [ EC, V, Channarayapatna tl, No. 273. ]
SR No.010112
Book TitleJain Shila Lekh Sangraha 03
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGulabchandra Chaudhary
PublisherManikchand Digambar Jain Granthamala Samiti
Publication Year1957
Total Pages579
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size15 MB
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