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________________ हाटिकल्लुके लेख ४७ ६१२ हादिकल्लु-संस्कृत ग्था कमाइ-मग्न । [वर्ष हेमलम्बो = 1.ई. (ल. राइस)।] [हादिकालुमें, रते हकलके पासके समावि-पाषाणपर ] श्रीमत्परमगम्भीरस्यावादामोघलाग्छनम् । बीयात्रैलोक्यनाथस्य शासनं जिनशासनम् ।। ... ... ... ... श्रीमतु हेव मोळम्बि-संवत्सरद आषाढ़-सु १ बृहस्पतिवारदन्दु श्री-गुणसेन सैद्धान्ति-देवर गुड्ड ... ... ... हादिगलगुडिययप्प-गौडन हेडति काळि गावुण्डि समाधि-विधियिं मुडिपि सुर-लोकप्राप्तेयादळु मङ्गल महा [जिन-शासनकी प्रशंसा । ( उक्त वर्षमें ), गुणसेन-सिद्धान्ति-देवके गृहस्थ शिष्य ... अयप्प-गौडकी पत्नी का ळ-गौण्डि समाधि-विधिके द्वारा मृत्युको प्राप्त हुई और स्वर्गको गयी।] [ EC, VIII, Tirthahalli tl., No. 121. ] ६१३ हिरे-आवलि;- काद-मग्न । [शक १३४३% ११२१ ई.] [हिरेवावलिमें, २० पाषाणपर ] स्वस्ति श्रीमद्-राजधानि-विजयानगर-मुख्यवाद समस्त ... ... श्री-वीर-प्रतापदेव-राय-वोडेयरु राज्यं गेयुत्तमिर्प कालाल शक-वरुष १३४३ प्लव-समाश्विन ब-६ सु हिरियावलिय गोप-गौडन मगनु भैरव-गौरनु पञ्च-नमस्कारदि स्वर्मास्तनादम् ।।
SR No.010112
Book TitleJain Shila Lekh Sangraha 03
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGulabchandra Chaudhary
PublisherManikchand Digambar Jain Granthamala Samiti
Publication Year1957
Total Pages579
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size15 MB
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