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________________ जैन - शिलालेख - संग्रह निम्नकोष्ठक से अब तक के आये हुए रहोकी ऐतिहासिक कालावलीका पता एक ही बारके देखने में लग जायगा :--- किसके अधीन REE टुका नाम पृथ्वीराम •• शान्तिवर्मा · · कार्त्तवीर्य प्रथम.. अङ्क कन्न द्वितीय कात्तवीर्यं वि० ... सेन द्वितीय • • कार्त्तवीर्य चतुर्थ, और मलिकार्जुन राष्ट्रकूट कृष्णराज जो शक ७६८ तथा शक ८२५ में शासन कर रहा था । चालुक्य तैलपदेव द्वितीय, शक ८६५ से ६१६. चालुक्य सोमेश्वरदेव प्र०, शक ६६२ १ ६६१ ? चालुक्य सोमेश्वरदेव प्र० चालुक्य सोमेश्वर द्वि०, शक ६६१ १ ६६८, और चालुक्य विक्रमादित्य द्वि०, से १०४६. चालुक्य विक्रमादित्य द्वि० का पुत्र जयकर्ण | बादमें स्वतन्त्र | शक ६६८ स्वतन्त्र अकेला कार्त्तवीर्यच. वही ... लक्ष्मीदेव द्वितीय...वही • ........ ... इन शिलालेखोंसे विदित काल लगभग शक८०० शक ६०३ शक ६७१ शक १००६ शक १०१० लगभग शक १०५० . शक ११२४ और ११२७ शक ११४१ शक ११५१ [ JB, X, p. 184-185, No 2 II and 12, ] a.
SR No.010112
Book TitleJain Shila Lekh Sangraha 03
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGulabchandra Chaudhary
PublisherManikchand Digambar Jain Granthamala Samiti
Publication Year1957
Total Pages579
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size15 MB
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