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________________ मतावारका लेख ३२१ मसावार । - [ शक १०६५ = ११४३३० ] [ मत्तावार ( चिकमगलूर परगना ) में, पार्श्वनाथ मन्दिर के एक पाषाण पर ] स्वस्ति शक वरुपद सामि ६५ सन्द रुधिरोद्वारि (य) - संवत्सर दिरेशनिवारदन्दु य बुध जकवे गन्ति हेमोरेय मन्तिकापुरदिन्द पुरबेदलु । सुरत देवेन्द्र बुधम् ॥ श्रावकर तोयेतर बु- । धाव ळ परमोंपकारि मति चतुर कळा- । कोविदर बन्धु जन-मा- | निदान-पथरण्य सु-कवि-देवेन्द्र-बुषम् ॥ गोजड - वेग्गडेय गुरुगळ, देवेन्द्र पण्डितरिगे अवर मदमाळिये देक्कन्वेय निषदिय कल्लं मत्तवारद गामुण्ड बूचि वेग्गडे नारणवेग्गडेय्यं पडिकर-माडुव माबलय्य नु निलिसिदरु [ ( उक्त मितिको ) गौजके वेमाडेके गुरु देवेन्द्र पण्डित की पत्नी देव का स्मारक - पाषाण मत्तावार के गामुण्डोंने खड़ा किया था । ] [ Ec, VI, Chik magalur tl, no 162 ] ३२२ हिरे आवली - संस्कृत - तथा कचड़ भितचंद्रमखिलमन्यचन ' ... ... [ लोरव परगना, हिरे-आवकी-गांव ] [ ध्वस्त जैन वस्तिके पास २५ वें पाषाणपर ] स्वस्ति समस्तसुरासुरमस्तकुमकुटांशुनाळवळ घोतपद प्रस्तुतचिन धर्मं श्रीमत्परमगंभीरस्याद्वादामोघलानं । बीयात् त्रैलोक्यनाथस्य शासनं बिनश| सनं ॥ ५७ ... मस्तं
SR No.010112
Book TitleJain Shila Lekh Sangraha 03
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGulabchandra Chaudhary
PublisherManikchand Digambar Jain Granthamala Samiti
Publication Year1957
Total Pages579
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size15 MB
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