SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 87
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ १५० इस शिलालेखपरसे १ यादव वंश में, जैन शिलालेख संग्रह पृच्छकराजका पुत्र गोविन्द २. राजा इन्द्रका पुत्र कर्कर ३ उसका पुत्र दन्तिदुर्ग ४ शुभतुंगवल्लभ - अकालवर्ष ५ धारावर्षका पुत्र प्रभूतवर्ष ६ उसका पुत्र प्रभूतवर्ष जगत्तुंग ७ अमोघवर्ष दूसरे ताम्रपत्रोंपर से गोविन्दराज प्रथम उसका पुत्र कक्कराज या कर्कराज उसका पुत्र इन्द्रराज उसका पुत्र दन्तिदुर्ग शुभतुंग - अकालवर्ष ( कृष्णराज . जो कि कर्कराजका पुत्र है ) उसका पुत्र प्रभूतवर्ष ( गोविन्दराज द्वि० ) प्रथम, उसका पुत्र प्रभूतवर्ष जगत्तुंग ( गोविन्द ) उसका पुत्र अमोघवर्ष ] [ EI, VI, " 4 ( 1st part ) ] १२८ देवगढ ( मध्यप्रान्त ) - संस्कृत | [ विक्रम सं० ९१९ तथा शक सं० ७८४ = ८६२ ई० ] १ [ ? ] [11] परमभट्टार [क] मह [1] राजाधिराज परमेश्वरश्री-भो२ जदेव महीप्रवर्द्धमान-कल्याणविजयराज्ये ३ तत्प्रदत्त-पञ्चमहाशब्द-महासामन्त-श्री- [वि] ष्ण [] १ ४ [र] म- परिभुज्यमा [] " लुअच्छगिरे श्री शान्त्यायत [न] - ५] [] निधे श्री कमलदेवाचार्य-शिष्येण श्री देवेन कारा ६ [प] तं इदं स्तम्भे ॥ संवत् ९९९ अस्व ( श्व) युज-शुक्ल ७ पक्ष चतुर्दश्यां वृ ( बृ ) हस्पति - दिनेन उत्तरभाद्रप १ 'माने' या 'मानक' । २ 'कारितोऽयं स्तम्भः' यह शुद्ध रूप पढ़ना चाहिये ।
SR No.010111
Book TitleJain Shila Lekh Sangraha 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorM A Shastracharya
PublisherManikchand Digambar Jain Granthamala Samiti
Publication Year1952
Total Pages267
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size7 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy