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________________ क्षपणासार के कर्ता माधवचन्द्र ] [ દર के हैं और चामुण्डराय राचमल्ल के मत्री रहे है । राचमल्ल का समय वि० स० १०४१ तक का है। अत: इन नेमिचन्द्र के शिष्य माधवचन्द्र का समय वि० स० ११२५ मानना असगत है।" इम सबधमे हमारा कहना यह है कि-बाहुबलि चरित्रमे गोम्मटेश की स्थापना का समय कल्कि स० ६०० लिखा है। जिसे प्रो० १० हीरालाल जी ने जैनशिलालेख संग्रह प्र० भाग की प्रस्तावना मे विक्रम स० १०८६ माना है। और गौम्मटेश्वर की स्थापना के समय चामुण्डराय और नेभिचन्द्राचार्य दोनो मौजूद थे ही। तथा द्रव्यसग्रह की टीका मे ब्रह्मदेव ने नेमिचन्द्र को धाराधीश राजा भोज के समय का लिखा है। यह राजाभोज विक्रम की ११वी सदी के चौथे चरण में मौजूद थे ऐसा इतिहास से सिद्ध है। एव चामुण्डराय ने स्वरचित चारित्रसार मे अमितगति का पद्य उद्ध त किया है। इत्यादि हेतुओ से चामुण्डराय और नेमिचन्द्र का अस्तित्व विक्रम की ११वी सदी का चौथा चरण तक पाया जा सकता है। रही राचमल्ल की बात सो इस विपय मे प्रो० हीरालालजी ने उक्त शिलालेखसंग्रह को प्रस्तावना मे जो लिखा है वह उन्ही के शब्दो मे पढियेगा __ "गोम्मटेश की प्रतिष्ठा राजा राचमल्ल के समय मे ही हुई ऐसा कोई शिलालेखीय प्रमाण नहीं है। केवल भुजवलिशतक मे ही ऐसा कथन है किन्तु उसका रचना समय ईसा की सोलहवी शताब्दी अनुमान किया जाता है। जिन अन्यग्रन्थो मे गोम्मटेश की प्रतिष्ठा का कथन है उनमे यह कही नही कहा गया कि यह कार्य राचमल्ल के जीते ही हुआ था। सन् १०२८ से पहिले के किसी भी शिलालेख मे इस प्रतिष्ठा का समाचार नही पाया जाता है।"
SR No.010107
Book TitleJain Nibandh Ratnavali 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMilapchand Katariya
PublisherBharatiya Digambar Jain Sahitya
Publication Year1990
Total Pages685
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size20 MB
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