SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 626
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ ६२८ ] [ * जग निबन्ध स्नावली भाग २ जगमोसना गाभा मार्ग बालिम निमित्त बताई ::किग मोगाममा नि० ग. ११२५ में पनि काममाधान या माना है कि धपणागार मोगादिया ना मोदी भी हो नब भी या लिननी अपेक्षा मलीनी उनी नामनामाना है। रामनगविना प्रगट लिए है ये तर ब EATM के गोजी विधानों पर छोरते 777137ने म सम्बन्ध में अब तक मोनिका नाम विनार पनी कृपाकरें। मग मी कुछ लोगों ने पनामा के गर्ता और मारपीटमा माधवनात अभिन्न होने मी भावना -धक पानी। और उन एतिहामिक विद्वानी में भिकीन कि दोनोकोकिन-भिन्न मान तो है म सम्बन्ध में पुन चिनार करने की प्रेरणा की थी। क्षपणामार को प्रशस्ति में उनकी समाप्ति का मामल माम० ११२५ दिया है। इसे हमने गन्यार के मतानुसार विनाम न० मानकर इमी आधार पर हमने वह लेख लिया था। मपर भाई परमानन्दजी ने अनेकांत के उसी अक में दोनो माधवचन्द्र को भिन्न-भिन्न वतनाने का प्रयान दिया है। उनके मनव्य की पुष्टि के लिये उनके लेख से ४ दलीले सामने आई है । नीचे हम उन्ही पर विचार करते हैं (१) प्रथम दलील उनकी यह है कि-"नेमिचन्द्र सिद्धात चकी का समय विक्रम की ११वी सदी के पूर्वाद के बाद का नही हो सकता है। क्योकि नेमिचन्द्र और चामुण्डराय समकाल
SR No.010107
Book TitleJain Nibandh Ratnavali 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMilapchand Katariya
PublisherBharatiya Digambar Jain Sahitya
Publication Year1990
Total Pages685
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size20 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy