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________________ १२ ] [* जैन निबन्ध रलावली भाग २ करो का चरित्र लिखा है वहाँ इनकी गर्भ की तिथियें भी लिख दी है। इससे ऐसा जान पडता है कि ६० वे पर्व का यह कथन जिनसेन ने शायद किसी अन्य ग्रथ से अर्थ रूप से ज्यो का त्यो उद्धृत किया है। इसलिए उसमे गर्भकल्याणक की तिथिये न होने से इसमे भी नही है। इस सम्भावना की पुष्टि इससे भी होती है कि इस ही हरिवश पुराण पर्व १६ मे भगवान् मुनिसुव्रत की कल्याणक तिथियो से नही मिलती है। यथा-- पर्व ६० मे दीक्षातिथि-वैशाखसुद ६ (श्लोक-२२६) ज्ञानतिथि-फागुणबुद ६ (श्लोक-२५७) मोक्षतिथि-फागुणबुद १२ (श्लोक-२६७) . .. जन्मतिथि-आसोजसुद १२ (श्लोक-१७८) पर्व १६ में काती सुद ७ (श्लोक-१२) मगसर सुद ५ (श्लोक-६४) माघ सुद १३ (श्लोक-७६) माघ बुद १२ (श्लोक-१२) इस प्रकार एक ही ग्रथकार के एक ही ग्रंथ मे मुनिसुव्रत के कल्याणको की भिन्न-भिन्न तिथियो का कथन होना विद्वानो के सोचने की चीज है। हरिवश पुराण के ६० वे पर्व मे जिस प्रकार तीर्थंकरो के अनेक ज्ञातव्य विषयो का विवरण दिया है। उसी प्रकार पद्मपुराण पर्व २२ मे भी दिया है। किन्तु पद्मपुराण में
SR No.010107
Book TitleJain Nibandh Ratnavali 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMilapchand Katariya
PublisherBharatiya Digambar Jain Sahitya
Publication Year1990
Total Pages685
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size20 MB
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