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________________ पं० टोडरमलजी का जन्मकाल "" ] [ २५७ गये थे इतनी छोटी उम्र में ही बुद्धि का इतना विकास नही हो सकता है कि जो वे सिद्धात के रहस्यो का उद्घाटन कर सकें। अगर ऐसी बात होती तो व० रायमलजी अपनी चिट्ठी मे जहाँ टोडरमलजी की अन्य-अन्य प्रशमा लिखी है वहाँ वे यह भी जरूर लिखत्ते कि उन्होने इतना विशाल ज्ञान छोटी उम्र मे ही पा लिया था सो तो रायमल्लजी ने कही ऐसा लिखा नही है। उल्टे उन्होने तो 'इन्द्रध्वजोत्सव की पत्रिका मे यह लिखा है कि "टोडरमलजी की इच्छा और पांच सात शास्त्रो की टीका करने की है सो ऐसा तो आयु की अधिकता होने पर बन सकेगा* इससे यही फलितार्थ निकलता है कि यदि गोम्मटसारादि की टीका रचनेके वक्त उनकी उम्र१८वर्ष करीवकी होती तो रायमल जी ऐसा नही लिखते । अत. उनका जन्मकाल जो ऊपर चि० स० १७६७ दिया है वह ठीक नही है। आभास कुछ ऐसा होता है कि १७६७ की जगह १७७६ हो सकने की सभावना की जा सकती है। किसी प्रतिलिपिकार के द्वारा प्रमाद से ७६ की सख्या ६७ लिख दी गई। इसको गलत मानने में एक हेतु यह भी है कि प० टोडरमलजी कृत गोम्मटसार पूजा का निर्माण महाराजा जयसिंह के राज्यकालमे होना लिखा है । वुद्धिविलास मे जयपुर राजवश के राजाओ की क्रमवार नामावली दी है उसमे लिखा है कि- राजा जयसिंह के ईश्वरसिंह और माधवसिंह ये दो पुत्र थे (पृष्ठ २६) छोटे पुत्र माधवसिंह को * भाई रायमल्लजी ने एफ जगह अपने परिचय मे प० टोडर मलजी को गोम्मटसारादि की टीका बनाने की प्रेरणा देते हुए लिखा है, "तुम या ग्रन्थ की टीका करने का उपाय शीघ्र करो आयु का भरोसा है नहीं।
SR No.010107
Book TitleJain Nibandh Ratnavali 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMilapchand Katariya
PublisherBharatiya Digambar Jain Sahitya
Publication Year1990
Total Pages685
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size20 MB
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