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________________ २३ | पं० टोडरमलजी का जन्मकाल तथा उनकी एक और साहित्यिक रचना प्राचीन हिन्दी गद्य के साहित्यकारो मे पडित प्रवर टोडरमलजी साहब का नाम सर्वोपरि है । यदि वे गोम्मटसारादि सिद्धात ग्रन्थो की वचनिका नही बनाते तो आज के जिज्ञासुओ को इतनी विशदता से सैद्धांतिक ज्ञान का लाभ नही होता । टीका ग्रन्थो के अतिरिक्त "मोक्षमार्ग प्रकाशक" जैसा हिन्दी मे अपूर्व स्वतन्त्र ग्रन्थ लिखकर तो आप अपना नाम ही अमर कर गये हैं । आपके देहान्त की दुखद घटना विस १८२४ के लगभग घटी है । इस घटना का वर्णन कवि बखतरामजी साह कृत “बुद्धि विलास” नाम ग्रन्थ मे मिलता है । बखतरामजी मूलत चाटसू के निवासी थे। तदुपरात वे सवाई जयपुर मे रहने लगे थे आदि चाटसू नगर के वासी तिनिको जान । हाल सवाई जयनगर माहि बसे है आन ॥ उन्होने बुद्धि विलास को वि० स० १८२७ मे पूर्ण क्रिय
SR No.010107
Book TitleJain Nibandh Ratnavali 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMilapchand Katariya
PublisherBharatiya Digambar Jain Sahitya
Publication Year1990
Total Pages685
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size20 MB
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