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________________ ग्रन्थकार का परिचय स्व० प० मिलापचन्द जी कटारिया का जन्म केकडी ( अजमेर) मे वि स १६५८ मे हुआ था । ये किसी विद्यालय या विश्वविद्यालय के छात्र न थे । स्कूल मे स्वयं उपलध्ध साधारण शिक्षा प्राप्त थे तथापि जन्म जात सस्कारो या पूर्वोपार्जित धार्मिक सस्कारो से उनकी आत्मा सस्कारित थी अतः स्वय के सत्प्रयत्न से उन्होने संस्कृत- प्राकृत भाषा का अध्ययन किया तथा जैनधर्म, जैन सिद्धात जैन न्याय, जैन ज्योतिष और जैन प्रतिष्ठा विधि आदि विषयों की उल्लेखनीय जानकारी प्राप्त कर विद्वानो मे अग्रगण्य बने । , वे अपनी सन्तान को भी उसी प्रकार धार्मिक सस्कारी से सस्कारित करते रहे उनके सुपुत्र श्री प० रतनलाल जी कटारिया से और उनकी लेखनी से जैन जगत् परिचित है उनके भी लेख निबन्धावली के प्रथम भाग मे हैं। पिता पुत्र दोनो की विचार धारायें जैसे एक ही मस्तिष्क से प्रसूत हो ऐसा लगता है । कटारिया जी खण्डेलवाल दि० जैन जाति के भूषण हैं इनके पिताजी श्रेष्ठिवयं श्री नेमिचन्द जी कटारिया थे । माता श्री का नाम दाखा बाई जैन पहाडिया गोत्र की थी। श्री मिलाप चन्द जी की पत्नी का नाम फूलबाई है वे श्री जीवन लाल जी चांदवाड, बघेरा की सुपुत्री हैं । श्रीमती फूलबाई का स्वर्गवास आषाढ सुदी ६ स २०३७ को हो गया है । स्व० प० मिलापचन्दजी के २ पुत्र हैं ? १ श्री रतनलाल कटारिया २ पदमचन्द कटारिया २ पुत्री हैं १ श्रीमती सुशीला कुमारी ( बम्बई ) तथा २. श्रीमती चन्द्रकांता देवी (व्यावर )
SR No.010107
Book TitleJain Nibandh Ratnavali 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMilapchand Katariya
PublisherBharatiya Digambar Jain Sahitya
Publication Year1990
Total Pages685
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size20 MB
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