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________________ कातंत्र व्याकरण के निर्माता कौन है ? इस ग्रन्थ में संस्कृत-व्याकरण का विषय ऐसे ढग से गुफित किया गया है जो न अधिक विस्तृत और न अधिक सक्षिप्त ही कहा जा सकता है। साथ ही क्लिप्ट भी नहीं है । व्याकरण की मध्यमरूप से शिक्षा पाने के लिये यह ग्रन्थ बहुत ही उच्चकोटि का है। वर्तमान मे इसका विशेष प्रचार नही है । सभव है पहिले किसी समय इसका अच्छा प्रचार रहा हो । यह बात तो हमारी बाल्यावस्था मे भी थी कि हमारे इधर इसका सधिपाठ अपभ्रंशरूप से विद्यार्थियो को कठस्थ कराया जाता था। और जिसको "सीधा" के नाम से बोला करते थे। इस ग्रन्थ को "कात्तत्र" के अलावा "कौमार" और "कालापक" के नाम से भी कहते हैं। इसके कर्ता कोई 'शर्ववर्मा" हैं। किन्तु वे जैन थे या जैनेतर यह अभी विवादग्रस्त है। महाकवि सोमदेव भट्ट-रचित "कथासरित्स गर" मे इस ग्रन्थ की उत्पत्ति की कथा मिलती है। उससे इसका निर्माता अजैन सिद्ध होता है । वह कथा उसके प्रथम लवक षष्ठ तरग श्लोक १०७ वे से लेकर सातवी तरंग के श्लोक ११ वे तक है। उसका साराश पाठको की जानकारी के लिये यहा लिख दिया जाता है। "एक समय राजा सातवाहन वसत के उत्सव मे रानियो के साथ जलक्रीड़ा कर रहा था। उस बीच मे एक
SR No.010107
Book TitleJain Nibandh Ratnavali 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMilapchand Katariya
PublisherBharatiya Digambar Jain Sahitya
Publication Year1990
Total Pages685
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size20 MB
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