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________________ पृष्ठ ४६१ ४६७ ४७३ ४८ ५१६ ५२३ (xii ) नाम पूर्व प्रकाशन ४१ नदीश्वर द्वीप मे ५२ जिनालय (जनगजट, २१-८-६७) ४२. तिलोय पण्णत्ती अनुवाद पर गलत स्पष्टीकरण (जनगजट, १६-११-६७) ४३ भगवान् की दिव्यध्वनि ("वीर" जुलाई-अगस्त ३६) ४४ जन कम सिद्धांत (श्रमणोपासक" ५, अक्टूवर ६७) ४५. क्या कभी जैनीभाई भी विद्वानो का आदर करना सीखेंगे ? (जैनसदेश, अप्रैल ६६) ४६. वास्तुदेव (जनसवेश, १८-४-६८) ४७ श्री सीमधर स्वामी का समय (जनसदेश, २ जून ८३) ४६. तत्वार्थ श्लोक वात्तिक की हिन्दी टीका का अवलोकन (जैनसदेश, जुलाई ६६) ४६. श्रावक की ११वी प्रतिमा (जैनसदेश, ८ मई ६६) ५०. साधुओ की आहारचर्या का समय (जैनगजट, १४ सितम्बर ६७ जैनसदेश, १५-२३ अगस्त ६८ २१ दयामय जैनधर्म और उसकी देव पूजा (जनमित्र ६ दिसम्बर सन् २६) (जनसदेश २७ करवरी ८६) १२ क्षपणासार के कर्ता माधवचन्द्र ("भनेकोत" जून सन् १६६५) ५३ उद्दिष्ट दोष मीमासा ("जनसदेश" ११, १८ जुलाई सन १६६८) ५४ पूज्यापूज्य विवेक और प्रतिष्ठा पाठ (जनसदेश) ५२८ स ५४४ ५६६ ६११ ६२२ ६३३
SR No.010107
Book TitleJain Nibandh Ratnavali 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMilapchand Katariya
PublisherBharatiya Digambar Jain Sahitya
Publication Year1990
Total Pages685
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size20 MB
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