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________________ ( * ) नाम पूर्व प्रकाशन २६ नवकोटि विशुद्धि ("सन्मति गदेश" सितम्बर ६२ ) २७. अटाई द्वीप के नकणे में मुधार की आवश्यकता ( " मन्मति संदेश " फरवरी ६७) २८ कतिपय ग्रन्थकारी का समय निर्णय ( महावीर जयनी स्मारिका सन् २ ) २६ अर्जन साहित्य में जंन उल्लेख और साप्रदायिक संकीर्णता से उनका लोप (महावीर जयनी स्मारिका ७१ ) ० मूर्ति-निर्माण जो प्राचीन रीति (महावीर जयंती स्मारिका नन् ६८ ) ३१ पीठिकादि मत्र और शासनदेव (महावीर जयती स्मारिका सन् ७० ) ३२ जैनधर्म मे महिमा की व्याख्या ("दिव्यध्वनि" जनवरी ६६ ) ३३ जैनधर्म श्रेष्ठ क्यो है ? (ट्रैक्ट, मार्च ३१ ) ३४ दर्शनभक्ति ( माथुरसघी) का शुद्ध पाठ ( जैन मदेश शोधाक न. २७ नवम्बर ६८ ) ३५ जैन खगोल विज्ञान ( मरुधर केशरी अभिनन्दन ग्रन्थ सन् ६८ ) ३६ छप्पन दिक्कुमारियें ("जैनसदेश" १३-३-६६ ) ३७ द्रव्यसग्रह का कर्त्ता कौन ? ( " जैनसदेश" ५-१-६७ ) ३५ हवनकुण्ड और अग्निश्रय ("जैनमदेश " १६-११६१) ३६ मूलाचार का संस्कृत पद्यानुवाद ( जैनगजट १४-१२-६७) ४० परकायाप्रवेश एक सत्य घटना ( 'जैनमदेशा" ७-१-७१/ पृष्ठ २८७ ܘܬܐ २०५ ܝܕ ३३० ३३६ ३५४ ३६५. ३८३ ३६६ ४२७ ४३२ ४४२ ४४६ ४५५
SR No.010107
Book TitleJain Nibandh Ratnavali 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMilapchand Katariya
PublisherBharatiya Digambar Jain Sahitya
Publication Year1990
Total Pages685
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size20 MB
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