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________________ अतिप्रेमान- 'ल्यामुक्त श्रवणोज्ज्वल' उपाधिधारी, केरल का जैन नरेश (ल. ११वीं शती), एरिणि का वंशज और किसी राजराजा का पुत्रइसने कतिपय यक्ष-यक्षिणी मूर्तियों का जीर्णोद्धार कराके तिकमले (महसुगिरि, महंत का पवित्र पर्वत) पर प्रतिष्ठापित किया पा, प्रणाली बनवाई थी बार घंटा मावि दान दिये थे । उक्त स्थान तुण्डीरमण्डल (सोमंडल) मे स्थित था। [क्षिसं. ifi. ४३४; प्रमुख. ११३] तिवीर- ती. वर्तमान महावीर का एक नामान्तर। अतिकाम्बिका- वानसबंशी जैन नरेश चाङ्गिराज की धर्मात्मा माता-दे. चारित राज [शिसं. ii. १८६] मतिमाकन शंबुकुस पेरिमाल-दे. राजगंभीर शंबुवराय, राजराज तृ. चौल का बन सामंत. [मेजं. २४९] अतिमने- कल्याणी के उत्तरवर्ती चालुक्यबंश संस्थापक सम्राट तैलप दि. (९७३-९७ ई.) के प्रधान सेनापति मल्लप की पुत्री, प्रधानामात्य घल्ल की पुत्रवा, प्रचण्ड महादण्डनायक वीर नागदेव की प्रिय पत्नी, कुशल प्रशासनाधिकारी वीरपदुवेल की जननी, 'दानचिन्ता. मणि' महासती अत्तिमम्बे आदर्श धर्मपरायण महिलारत्न थी। उसके सत् के तेज से नर्मदा का तूफानी प्रवाह स्थिर हो गया था, ऐसी अनुश्रुति है । कन्नड महाकवि पोन के शान्तिनाथ पुराण की उसने एक सहस्त्र प्रतियां अपने व्यय से लिखवाकर वितरित की थीं, अनेक मंदिरों व देवमूर्तियों का निर्माण कराया था, चतुर्विषपान में सवा तत्पर रही, अनेक पामिक उत्सव, तीर्थयात्राएं, तथा लोकोपयोगी कार्य किये । परवती समय में अनेक विशिष्ट धर्मास्मा महिलामों को उसकी उपमा दी जाती यो-'अभिनव अत्तिमन्ने' कहलाना बड़े गौरव की बात समझी जाती रही। [प्रमुख. १९५-१९८; भाद. ३१४-५; शिसं iv ११७; देसाई. १४०. १४१; मेच. १२७, १५६-१५७] बत्तियो- दे. बत्तिमम्बे-अत्तिमम्बरसि नामरूप भी मिलता। iv. ११७] ऐतिहासिक व्यक्तिकोष
SR No.010105
Book TitleJain Jyoti
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJyoti Prasad Jain
PublisherGyandip Prakashan
Publication Year1988
Total Pages205
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size6 MB
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