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________________ [एक. १४५शोषांक-१/१४) १६- परमानवसार नामक कार प्रब के कर्ता भकला। [शोषांक-१/१५; सिम. बाराम.सू. १५२] १७-विधाविनोद नामक संस्कृत वैद्यकशास्त्र के कर्ता अकसर स्वामि इन्होंने अकलमट्टारक, बीरसेन, पूज्यपाद एवं धर्मकीति महामुनि के उल्लेख किये हैं। [लोषांक-१/१४;मारा सूची. ५. न्याय कु.च. प्रस्ता.] १८- विद्यानुवाद नामक मन्त्रशास्त्र के रचयिता अकला। [बही; सोषांक-१/१४] १९-तफलवन के कर्ता अकलाकवि। [वहीं] २०- चैत्यवन्दनादि सूत्र, साधु-बाड-अतिक्रमण, पपर्याय-मंजरी नामक अन्यों के रचयिता बकलदेव । [वही] २१. अकला-स्तोत्र, स्वरूपसम्बोधन, वृहत्स्त्रय, न्यायचूलिका, प्रमाणरत्नदीप, अकलर-प्रायश्चित, जैन वर्णाश्रम आदि, अकला के नाम से प्राप्त या प्रासिद्ध ग्रन्थों के रचयिता, एकाधिक विद्वान । [बही.] यह संभावना है कि उपरोक्त २१ मे से कई एक परस्पर भिन्न हो। साथ ही देवगण के पूर्वमध्यकालीन गुरूओं में, परवर्तीकाल मे संगीतपुर, सुधापुर, कान आदि के भट्टारकों में, तथा श्वेताम्बर परंपरा में भी अकलंक नाम के कतिपय अन्य मुरूबों के पाये जाने की संभावना है। मानेर-श्वे. पूर्णिमागल्छीप, ११८३-८७ ई., जिनपतिसूरि . समकालीन। [बरतरगच्छ वृहद् गुर्वावलि] अयो - तंजौर के प्रतापी नरेश कोलुत्तुंग चोल (१०७४-११२३ १०) का चतुर्ष पुत्र एवं उत्तराधिकारी, विक्रम एवं त्रियम्समुह विरुदधारी, विद्वानों एवं गुणियों का बश्रयदाता, जैन धर्मानुयायी नरेश । [प्रमुख.११३] दक्षिणापत्र के राष्ट्रकूट वंश में कृष्ण नामधारी नरेशों की विषिष्ट उपाधि (दे. कृष्ण) १. कामवर्ष कृष्ण भिवंग (७५७-110).. [क्षिसं iv ५५] ऐतिहासिक पतिको
SR No.010105
Book TitleJain Jyoti
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJyoti Prasad Jain
PublisherGyandip Prakashan
Publication Year1988
Total Pages205
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size6 MB
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