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________________ एबावारी- कर्नाटक क्षण मारा पिके केयर पाम में मई १५९४ में मनामाराणसी मादि में शिक्षा प्राप्त को, बंगलोर में बरे, बम्बई रेल्ला पत्रालाल दि. जैन सरस्वती भवन और पूना के मंगरकर प्राच्यविद्या मंदिर में शोधकार्य किया, प्राकृत, संस्कृत, कर बोर हिन्दी के विधान, अनेक मानद उपाधियां, बर्षपदक, पुरस्कार प्रादि प्राप्त किये, मक मात्र जोनिपार को प्रकाश जाये, पटसंगम का कार मनुवाद किया, अन्य कई अन्य निजे, समर्पित साहित्यसेवी पिवान। प्रो. ओ मोम प्रकाशन, कोरे- मेरठ नगर के मोबस गोत्रीय भावान विनम्र बन गणेशीलाल कसेरे के पौष संवा विशम्भर सहाय नुस्तार के ज्येष्ठ पत्र नसमा मेरठरसक्रिय कार्यकता और नमि बन गोषधालय मेरठ के मंत्री रहकर नगर पानिकसामाजिक कार्यों में प्रभूत योग दिया। एकबोवस्वी व्यक्तित्व पाने स्वावलम्बी सफल गृहस्प। बनवरी १९५३६० में वर्ष वास। मोन प्रमान- पाराणसी के सुप्रतिष्ठित अपवाल परिवार में ६-२-१९५५ को पम्म; शिक्षाविद् की पुत्री बोर १९५१ में ग. के. सी. बंग से विवाही; एम. ए. (अंग्रेजी साहित्य) और एम-एस.बी. तक शिक्षा प्राप्त; सन् १९४७ से १९७२ दौरान पार बार पहले अविभाजित पंजाब राज्य और तदनन्तर हरयाणा राज्य में कंबल विधान सभा क्षेत्र से विधान सभा सदस्या निर्वाचित पंजाब राज्य में १९६२-६३ में उपमंत्री तथा १९६५-६६ मंत्री गौर हरयाणा राज्य में १९६६-६७ तथा १९६८-७२ तक मंत्री (वित्तविभाग) रही। बनेका राजनैतिक, बोचोमिकक्षिण और सांस्कतिक संगठनों से सम्बट रही। इंगलैड, डेनमार्क, पश्चिम जर्मनी, कांस, स्विटबरम और रोम बावि विदेशों का प्रमण किया। सामाजिक, रापतिक एवं वार्षिक विषयों ऐविशासिक पतिको
SR No.010105
Book TitleJain Jyoti
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJyoti Prasad Jain
PublisherGyandip Prakashan
Publication Year1988
Total Pages205
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size6 MB
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