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________________ अपने समय के एक कुशल इंजीनियर । रुड़की की नहर को बनाने का श्रेय राय बहादुर की उपाधि से सम्मानित | सेवानिवृत्ति के उपरान्त मेरठ नवर में बसे । सरल स्वभावी, उदारमना, धार्मिक वृति के व्यक्ति । ढल्कतराय, रा० सा०- दिल्ली के प्रतिष्ठित व्यक्ति । रायसाहब की उपाधि से सम्मानित | धर्मात्मा और सक्रिय सामाजिक कार्यकर्ता । अयोध्या मोर हस्तिनापुर दिग. जनतीर्थ क्षेत्रों के प्रबन्ध से तथा अन्य अनेक सामाजिक, धार्मिक संस्थाओं से वर्षों तक जुड़े रहे । ६७ वर्ष की आयु में ११-९-१९७९ को निधन । उल्कतराय इंबी०, ० ० E थम चरण १५० - १ जनवरी, १९११ ई० को ग्राम सराय सदर (वर्तमान नोएडा) जिला बुलन्दशहर (उत्तर प्रदेश) के मध्यवर्गीय प्रतिष्ठित दिगम्बर जैन परिवार में जन्म हुआ । ग्यारह वर्ष की मायु में दिल्ली के प्रस्थात वैरिस्टर चम्पतराय द्वारा पौत्र रूप में दत्तक लिये गये । बहुमुखी प्रतिभा के धनी । सन् १९२५ में 'महारथी' में प्रकाशित 'मिट्टी के रुपये' पहली कहानी से साहित्य जगत में प्रवेश । पैंतीस वर्ष की आयु तक पैंतीस पुस्तकों को रचना की। अपनी कहानियों और उपन्यासों के माध्यम से सामाजिक कुरीतियों का भण्डाफोड़ करने का क्रान्तिकारी कार्य किया। उनकी बहुचर्चित कृतियां- 'दिल्ली का कलंक', 'दुराबार के अड्डे', 'चम्पाकली', 'तीन इक्के', 'वेश्यापुत्र', 'बुर्केवाली', 'मयखाना', 'मन्दिरदोष', 'जनानी सवारियाँ' आदि हैं। मौलिक रचनाओं के अतिरिक्त ड्यूमा मोर साल्सताय के कई कथा प्रवों का सफल अनुवाद किया जिनमें 'कंदी', 'कंठहार', 'बादशाह की बेटी', 'वस्त्रकारी', 'महापाप' बोर 'देवदूत' उल्लेखनीय हैं। 'चित्रपट' और 'सचित्र दरबार' के सम्पादन द्वारा पत्रकारिता के क्षेत्र में नये मानदण्ड स्थापित किये। सन् १९२८ में 'साहित्य मण्डल' नामक प्रकाशन संस्था स्थापित की ओर सन् १९४२ में फिल्म व्यवसाय में भी प्रवेश किया, ऐतिहासिक व्यक्ति कोच
SR No.010105
Book TitleJain Jyoti
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJyoti Prasad Jain
PublisherGyandip Prakashan
Publication Year1988
Total Pages205
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size6 MB
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