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________________ . मंत्री व १९६४ में आम इडिया ओरिए feet अमेजन के मंत्री तथा १९५२-५७ में 'भारतीय संस्कृति' । ३ नवम्बर, १९०६ को ७४ वर्ष की आयु में निधन [प्रो जैन, पृ. ७९ नं. प्र. १६-११-६६ ] इगाचा शास्त्री, पं०मा० दि० जैन संघ, मथुरा के साथ उसके एक परम उत्साही कर्मठ कार्यकता के रूप में प्राय: प्रारम्भ से ही सम्बद्ध रहे । 'न सन्देश' पुत्र के सम्पादन प्रकाशन नादि में प्रभूत योग दिया। धर्म का अच्छा ज्ञान रखने वाले विद्वान पण्डित बोर कुसल प्रचारक | सरल स्वभावी और स्नेही व्यक्तित्व वाले । २ बक्तूबर, १९७२ को निधन । इन्द्रमणि बंध- जिला मथुरा (उ० प्र०) के नगला मंसाराम ग्राम में सन् १९०१ ई० में मार्गशीर्ष शुक्ल एकादशी को बेसवाल जातीय दिगम्बर जैन तेरह पंथी डंडोरिया गोत्रीय धार्मिक एवं विद्वान परिवार में बिन्द्रावनवास और पांचीबाई के पुत्र रूप में जन्म। हिन्दी, उर्दू अंग्रेजी और संस्कृत में शिक्षा प्राप्त की; धर्म का गहन अध्ययन किया और आयुर्वेद के प्रकाण्ड पण्डित बने । वैद्य जी को आयुर्वेद की सेवाओं के लिये 'मिवम्बर' और 'आयुर्वेद वाचस्पति' की उपाधियां मिली। कविता और निबन्ध लिखे जो अनेक पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित हुए । 'माता' (गद्य), 'जैन विवाह पद्धति' (गद्य) और 'इन्द्रनिदान' (पक्ष) इनको प्रकाशित रचनाए हैं । 'द्रव्य संग्रह' का हिन्दी छंद में अनुवाद भी किया। 'जैसवाल जैन' और 'जनपद मायुर्वेदीय सम्मेलन' पत्रिकाओं के सम्पादक भी रहे। अनेक शिक्षण एवं स्वास्थ्य संस्थाओं की संस्थापना की तथा अनेक संस्थानों में महत्वपूर्ण पदों से जुडे रह कर असंख्य रोगियों को निश्शुल्क औषधि प्रदान कर एवं असहाय निर्धनों की सहायता कर समाज सेवा का अत्युतम कार्य किया। जैमवान जैन महासभा ने इन्हें 'बासिरल' की उपाधि से विभूषित किया। जीवन में धष्ट विद्या, प धीर की aft की और चार सुयोग्य पुत्रों के जनक बने । अभि., . १९७-१९८ ] [ ऐतिहासिक व्य
SR No.010105
Book TitleJain Jyoti
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJyoti Prasad Jain
PublisherGyandip Prakashan
Publication Year1988
Total Pages205
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size6 MB
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