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________________ गई । इसको जननी पट्टरानी पद्मावती बी, पुत्र एवं उत्तराfuकारी अनुरुद्ध वा । समय म० ५०३-४७५ ईसापूर्व [प्रमुख. २०: मा. ६९ ] उतिया या उदितादेवी- ग्वालियर के तोमर नरेश दोरमदेव (ल० १४०० ई०) के जैसबालवंशी जैन राज्यमन्त्री कुशराज की पितामही, साहू भुल्लन की मार्या और साहु जैनपाल की माता कुशराव ने पद्मनाभ कायस्थ से यशोधर चरित्र की रचना कराई थी। [प्रवी. i. ३; प्रमुख. २५० ] बुन्देला नरेश महाराजकुमार छत्रसाल के भाई या पुत्र के शासनकाल में, १९९० ई० में, सोनागिर (बतिया, म० प्र०) पर उसके एक अधिकारी गोपालमणि ने भ० विश्वभूषण के उपदेश से एक जिनमंदिर निर्माण कराया था ( तलहटी का वर्तमान मंदिर न० ९) । [ जैशिसं. v. २७२] उदितोदय- ती० महावीर कालोन मथुरा नरेश, जिसके राज्यश्रेष्ठि महंद्दास, उसकी आठ पत्नियों और सुवर्णदुर बोर का प्रसंग लेकर सभ्यare कौमुदी कथा प्रचलित हुई कही जाती है । [ प्रमुख. २१] उपविदेव- तोंडेयमंडल ( तमिल देश ) में आरनीग्राम (जिलाबेल्लोर ) निवासी दिग. जिनभक्त कवि, freeकलम्बगम् नामक ललित तमिल भक्ति काव्य के रचयिता । ११३८ ई० में नडलाई के नेमि जिनालय के लिए दान देने वाले जैन राम्रो राजदेव के पिता, गुहिलवंशी रावत । [ गुच. १७९ ] श्रावक, जिसके पुत्र जिसालिम्ब ने, ११६१ ई० में जालोर ( राजस्थान) के पावं - जिनालय में दो कलापूर्ण पाषाण-स्तंभ बनवाये थे । [ जैशिसं. v. १०२ ] उहि उद्धरण उद्धरण- उद्धरणनूप उद्धरलेग- या उद्धरणदेव, ग्वालियर के तोमर राज्य का संस्थापक ल० १४०० ई० में इसका पुत्र वीरमदेव राजा हुआ या ग्वालियर के तोमर राजे जैनधर्म के प्रश्रयदाता रहे । [भाइ. ४५२: प्रमुख. २५० ] काष्ठासंघ- माथुरगच्छ पुष्करगण के म. माधवसेन के पट्टधर सिद्धान्त-जन-समुद्र' मुनि उद्धरसेन, म० १२५० ई० । ऐतिहासिक व्यक्तिकोश १४१
SR No.010105
Book TitleJain Jyoti
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJyoti Prasad Jain
PublisherGyandip Prakashan
Publication Year1988
Total Pages205
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size6 MB
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