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________________ मार्वजलि- १. पंचस्तूपाम्बव के पनसेन मुनि शिष्य बार बक्स (Ot १.), बबलबादिकर्ता पोरसेन स्वामि के मुख्याति याबार्यनन्दि, समय न........ सो. १८६, १९९; *..xii. १, पृ. 1-43; प्री... १२१-१२४] २. मूलसंत्री बालचन्द्र के शिम्य बार्यनन्दि, बो गंगनरेश राष. मल्ल सत्यवाक्य प्र. (२१५-५३ ९.) के धर्मगुरु थे । [प्रमुख. ७७] ३. अवनन्दि या मानदि ने भवनन्दि शिष्य और किसी बामनरेश के धर्मगुरु देवसेन की, जो संभवतया स्वयं उनके भी गुरु थे, एक मूत्ति बनवाकर स्थापित की थी। ल. ९वी१०वीं शती ई. मे. २४३] ४. बज्नमन्दि, अच्चमंदि या आर्यनन्दि, जिन्होंने मदुरा तालुके में एक अन्य प्रतिमा प्रतिष्ठापित की, १०वीं शती ई. के एक तमिल शि. ले. में उल्लिखित । [मेजे. २४३-२४४; जैशिसं. iv.७३] ५. जिनकी माता का नाम गुणमति था। कुछ विद्वान इन शि. ले. को ल. ७.० ई. का अनुमान करते हैं। [शिसं. iv. ६. बार्यनन्दि आचार्य, जिन्हें सेन्द्रकबंशी राजा इन्द्रनंद ने भूमिदान दिया था, म. ७... -दे. मायणदि। (जमिवं. iv. २२] ७. एक अन्य प्राचीन तमिल शि. ले. में मुगनन्दि और कनकसेन के साथ उल्लिखित अज्जनंदि या मार्यमन्दि। [मेज. २४४] ८. गोम्मटेश्वर प्रतिमा के प्रतिष्ठापक मन्त्रीश्वर चामुण्डराय के धर्मगुरु बवितसेन के गुरु बाईसेन अथवा मानन्दि, ल. ९३० १०। [देसाई. ११४, १३७, १३९) ९. वर्षमान परित्र (८५३१.) आदि के कर्ता महाकवि बसग के एक गुरु। [प्रवी.i. .९] मानगिल- बार्यनन्दिक या बार्यनन्दि बापा जिनके उपदेश से मथुरा में, ११.६० में, बाबिका जितमित्रा ने अहंद की सर्वतोमद्रिका प्रतिमा प्रतिष्ठापित की थी। शिवं.-४१] ऐतिहासिक व्यक्तिकोश
SR No.010105
Book TitleJain Jyoti
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJyoti Prasad Jain
PublisherGyandip Prakashan
Publication Year1988
Total Pages205
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size6 MB
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