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________________ ( ३४२ ) और भी नेमिनाथ जिनपूजा" नामक पूजाकृतियों में मोनू फल बालसभ, निम्बु, fuari और नीबू संताओं में उल्लिखित है। बसों शती के प्रभावि भगवानदास द्वारा रचित 'श्री तत्वार्थ सूत्रपूजा' नामक रचना में यह फल व्यबहुत है । " पनस - यह काष्ठ-फोड़ जन्यफल है। इसे कटहल भी कहते हैं।' यहाँ यह उन्नीसवीं शती के मनरंगलाल विरचित 'श्री धर्मनाथजिन पूजा" और 'श्री व मानजिनपूजा" नामक पूजाओं में व्यवहृत है । पिस्ता - यह एक पौष्टिक फल है। इसका अपर नाम है निकोचक । उन्नीसवीं शती के मनरंगलाल विरचित 'श्री सुमतिनाथजिनपूजा", श्री सुपार्श्वनाथ जिन पूजा" नामक पूजाओं में निकोचक और पिस्ता संज्ञाओं के साथ व्यवहृत है। इस शती के अन्य कवि रामचंद्र प्रणीत 'श्री सुपार्श्वनाथ जिनपूजा' तथा 'श्री सम्मेदशिखरपूजा"" नामक कृतियों में पिस्ता के अभि १. श्री नेमिनाथ जिनपूजा, मनरंगलाल, सत्यार्थयज्ञ, पृष्ठ १४६ । २. क्रमुक दाख बदाम अनारला, नरंगीब्रूहि महि श्रीफला । - श्री तत्वार्थ सूत्र पूजा, भगवानदास, जैनपूजापाठ संग्रह, पृष्ठ ४११ । ३. बृहत् हिन्दी कोश, पृष्ठ ७७१ । ४. श्री धर्मनाथजिनपूजा, मनरंगलाल, सत्यार्थयश, पृष्ठ १०९ । ५. पनस दाडिम आम्र पके भये । - श्री व मानजिनपूजा, मनरंगलाल, सत्यार्थयश पृष्ठ १६५ । ६. पंडित शिखर चंद्र जैन शास्त्री ने सत्याबंयज्ञ के पृष्ठ ४० पर श्री सुमतिनाथ जिनपूजा की टिप्पणी मे निकोचक को पिस्ता कहा है। ७. निकोचक सुगोस्तनीमराय पालिका बड़ी । - श्री सुमतिनाथ जिनपूजा, मनरंगलाल, सत्यार्थमज्ञ, पृष्ठ ४० । ८. पिस्ता सुबादाम नवीन हेरे । - श्री सुपाश्वनाथ जिनपूजा, सत्यार्थयज्ञ, पृष्ठ ५६ । ९. बादाम श्रीफल लोंग पिस्ता, मिष्ट बारिक ल्याव ही । - श्री सुपार्श्वनाथजिनपूजा, रामचंद्र, चतुविशति जिनपूजा, नेमीचंद बाकलीवाल, जैन ग्रंथ कार्यालय, मदनगंज, किशनगढ़, राजस्थान, ववस्त १६५१, पृष्ठ ६२ । १०. बादाम श्रीफल लोंग पिस्ता लेय शुद्ध सम्हाल हो । --- -श्री सम्मेदशिखरपूजा, रामचंद्र, जैनपूजापाठ संग्रह, पृष्ठ १२० ।
SR No.010103
Book TitleJain Hindi Puja Kavya
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAditya Prachandiya
PublisherJain Shodh Academy Aligadh
Publication Year1987
Total Pages378
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size10 MB
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