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________________ ( २९७ ) मोसची सती पूना कपिबाम ने सुगंध हेतु इस पार्क का प्रयोग 'श्री महावीर स्वामी पूना' में किया है।' इस शती के अन्य कवि रामधन प्रगीत 'पोवनाजिनपूजा' नामक पूजा में अगर सुधि के लिए बोसी गती के पूजा-कवयिता सेवक' एवं हेमराज ने सुगंध के लिए मगर का प्रयोग किया है। कुंकुम-यह पदार्थ शरीर पर लेप करने के लिए प्रयोग किया जाता है। इससे शरीर कांतिमान एवं सुवासित हो जाता है। पूजाकाव्य में उन्नीसवीं शती पूजाकार रामचन्द्र ने 'श्री अनंतनाथ जिनपूजा' में सुगंध एवं आलेपन के लिए हुकुम का प्रयोग किया है। बीसवीं शती के पूजाकवि कुंजिलाल प्रणीत 'श्री देवशास्त्र गुरुपूजा' नामक रचना में आलेपन अर्ष में 'कुंकुम' व्यवहत है। कपूर-स्फटिक के रंग-रूप का एक गंध द्रव्य जो खुला रहने पर प्रायः विवेख्य काव्य में अठारहवीं शती के कविवर चानतराय ने 'श्री पंचमेव पूजा, श्री सोलहकारण पूजा, श्री वशलक्षण धर्मपूजा , श्री रत्नत्रय पूना" १. हरि चंदन अगर कपूर, चूर सुगंध करा । -श्री महावीरस्वामी पूजा, वृदावन, राजेश नित्य पूजापाठ संग्रह, पृष्ठ १३४ । २. श्री चन्द्रप्रभु जिनपूजा, रामचंद्र, राजेश नित्य पूजापाठ संग्रह, पृष्ठ ६२ । ३. श्री आदिनाप जिनपूजा, सेवक, जैन पूजापाठ संग्रह, पृष्ठ ६६ । ४. श्री गुरुपूजा, हेमराज, गृहजिनवाणी संग्रह, पृष्ठ ३११ । कुंकुमादि चन्दनादि गंध शीत कारया। -श्री अनंतनाथजिनपूजा, रामचन्द्र, राजेश नित्य पूजापाठ संग्रह, पृष्ठ १०४। ६. श्रीदेवशास्त्रगुरुपूजा, कुंजिलाल, नित्यनियमविशेषपूजनसंग्रह, पृष्ठ ७. जम केजर कपूर मिलाय । ~श्री पंचमेवपूजा, बानतराप, अन पूजापाठ संग्रह, पृष्ठ ५२ । ८. श्री सोलह कारण पूजा, पानतराय, जन पूजापाठ संग्रह, पृष्ठ ५६ । ९. श्री दशलक्षणधर्मपूमा, बामसराय, बैन पूजापाठ संबह पृष्ठ ६३ । १०. श्री रलथपूजा, बामवराय, जैन पूजापाठ संग्रह पृष्ठ ७०॥
SR No.010103
Book TitleJain Hindi Puja Kavya
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAditya Prachandiya
PublisherJain Shodh Academy Aligadh
Publication Year1987
Total Pages378
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size10 MB
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