SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 276
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ ( २५६ ) (५) घर (१८ वीं शती) - (१) प्रीति घरी है। (दयानतराय, श्री बीस तीर्थ कर पूजा) (दयानतराय, श्री वेदशास्त्र गुरुपूजा) (दयानतराय, श्री गंदीश्वर द्वीप पूजा) (२) पुष्प चरु दीपक धरू । (३) आनंव-भाव धरों । (१२ वीं शती) - (१) तुम भेंट धराऊ । (बस्तावररस्म, श्री चन्द्र प्रभु जिनपूजा) (२) धरी शिविका मिजकंध मनोग (वतावररत्न, श्री पार्श्वनाथ जिनपूजा) (३) धरो तुम जन्म बनारस आन । (ताररत्न श्री सुपार्श्वनाथ जिनपूजा) (२० वीं शती) - (१) श्री जिनवर आगे धरवाय । (सेवक, श्री आदिनाथ जिनपूजा) (२) कनक- रकाबी धरे । (दौलतराम, श्री पावापुर सिद्धक्षेत्र पूजा) (३) मणिमय दीप प्रजाल धरों । (आशाराम, श्री सोनागिरि सिद्ध क्षेत्र पूजा) (४) प्रेम उर धरत है। ( आशाराम, श्री सोनागिरि सिद्धक्षत्र पूजा) (६) कह (१८ वीं शती) (१) गरुड़ कहे हो । ( यानतराय, श्री बीस तीर्थ कर पूजा) (२) भिन्न-भिन्न कडु आरती । (दयानतराय, श्री बीस तीर्थ कर पूजा) (३) विजय अञ्चल मंदिर कहा । (ध्यानतराय, श्री पंचमेरु पूजा ) (१८ वीं शती) (१) भये पद्मावति शेष कहाये । (२) धर्म सारा कहा। (बस्तावररत्न, श्री पार्श्वनाथ जिनपूजा) (वक्तावररत्न, श्री चन्द्रप्रभु जिनपूजा)
SR No.010103
Book TitleJain Hindi Puja Kavya
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAditya Prachandiya
PublisherJain Shodh Academy Aligadh
Publication Year1987
Total Pages378
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size10 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy